उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी प्रशासनिक और सरकारी नौकरियों में धांधली से तूफान मचा है. आजतक ने स्टिंग ऑपरेशन करके उस धांधली का सच बेपर्दा किया है. यूपी पीसीएस में एक जाति विशेष पर इंटरव्यू और बहुत हद तक लिखित परीक्षा में भी नंबर लुटाए गए.
समाजवादी पार्टी में संसद से लेकर विधानसभा तक मुलायम सिंह यादव के कुनबे का राज है. संसद में मुलायम सिंह यादव, बहू और भतीजों के साथ खुद विराजमान हैं और विधानसभा में बेटा और भाई. यूपी में सरकार ऐसी है कि कोई इसे बाप-बेटे की सरकार का नाम दे रहा है, तो कोई भाई-भतीजे की सरकार कहकर पुकार रहा है. लोगों के वोट से खानदान भी चुनकर आया है, इसलिए मुलायम सिंह यादव पर कोई सीधा आरोप नहीं लगा सकता.
लेकिन वोट की राजनीति से परे उत्तर प्रदेश के लोक सेवा आयोग में जब मेरिट लिस्ट पर यादव राज सवार हो जाए, तो इल्जाम लगना लाजिमी है. जी हां, समाजवादी पार्टी का 'वोट बैंक' अब लोक सेवा आयोग में भी गजब ढा रहा है.
अब तक तो जाति के वोट बैंक के नाम पर सांसद और विधायक बन रहे थे, लेकिन अब यूपी में एसडीएम और डिप्टी एसपी भी वोट बैंक में से निकल रहे हैं. जो अधिकारी आगे चलकर डीएम, एसपी, कमिश्नर, डीआईजी-आईजी की कुर्सी पर विराजेंगे, उनकी खासियत सिर्फ और सिर्फ एक खास जाति होगी.
चौंकिए मत, आजतक के पास वो दस्तावेज हैं, जो जाहिर करते हैं कि किस तरह यूपी में एक खास जाति के नाम पर चुन-चुनकर कैंडिडेट्स को इंटरव्यू बोर्ड तक पहुंचाया, फिर इंटरव्यू में उन पर जमकर नंबर लुटाए गए. आखिरकार यूपी पीसीएस के पूरे इम्तिहान और इंटरव्यू में यादव जाति के कैंडिडेट्स ऊपर से नीचे तक छा गए.
जी हां, विकास धर और हिमांशु कुमार गुप्ता को इंटरव्यू में 102 और 115 नंबर मिले, लेकिन रागेश कुमार यादव पूरे के पूरे 140 लेकर आगे निकल गए. अंकुर सिंह, विनीत सिंह और अभिषेक सिंह को मेन्स यानी लिखित परीक्षा में ज्यादा नंबर मिले हैं, लेकिन इंटरव्यू में 113, 115 पर ही वो सिमट गए, जबकि सुरेंद्र प्रसाद यादव लिखित परीक्षा में काफी पीछे हैं, लेकिन इंटरव्यू में 136 नंबर पाकर फाइनल लिस्ट में जगह बना ली. अमिताभ यादव और मायाशंकर यादव भी जाति के नाम पर इंटरव्यू के नंबर लूटने में कामयाब रहे, जबकि
जनरल कटगरी के बाकी उम्मीदवारों की योग्यता इंटरव्यू में दम तोड़ गई.
सबसे ज्यादा बुरा हाल तो एससी यानी शीड्यूल कास्ट कैटेगरी का है, जिसमें 140 छोड़िए बहुत से उम्मीदवार 100 का आंकड़ा भी नहीं छू पाए.
उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी के सबसे बडे़ इम्तिहान में की गई सबसे बड़ी धांधली को आज आपकी आंखों के सामने आजतक उजागर कर रहा है. यूपी में आपके बच्चों का भविष्य किस अंधेरी गुफा में जा रहा है. रात-दिन मेहनत करके आपके बच्चे इंटरव्यू बोर्ड तक पहुंचते हैं, लेकिन फाइनल लिस्ट आते-आते मेरिट से गायब हो जाते हैं. दिल्ली और लखनऊ से फोन की एक घंटी घनघनाती है और सिफारिशी कंडिडेट इंटरव्यू में टॉप करके मेरिट लिस्ट में आ जाता है. इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में सोर्स-सिफारिश का हाल यह है कि आयोग के कर्मचारी भी मानने लगे हैं कि बिना सिफारिश यहां मेरिट में जगह नहीं बनती.
यूपी पीसीएस के इंटरव्यू में 200 नंबर होते हैं, लेकिन नियम है कि अगर किसी उम्मीदवार को 140 से ज्यादा अंक दिए जाते हैं, तो आयोग को उस पर रिमार्क देना होता है. साल 2011 के यूपीपीसीएस का इंटरव्यू पिछले साल हुआ, उसमें यादव उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा अंक मिले. 138 से 140 के बीच, जबकि दूसरी जातियों के उम्मीदवार इंटरव्यू में अच्छा अंक पाने से वंचित रह गए.
आइए अब आपको दिखाते हैं यूपी पीसीएस के इम्तिहान की वो फेहरिस्त, जो धांधली का खुद एक सबूत है. देखिए कि किस तरह से यादव जाति के कैंडिडेट्स को 140 और 138 नंबर दिए गए हैं, जबकि ज्यादातर गैर यादव उम्मीदवारों को 100 से 110 में ही समेट दिया गया है....
रागेश कुमार यादव - 140
राहुल यादव- 140
सुरेंद्र यादव- 136
अमिताभ यादव- 140
मायाशंकर यादव- 138
अरविंद कुमार यादव- 140
सिद्धार्थ यादव- 138
धनवीर यादव- 137
ज्योत्स्ना यादव- 138
सोमलता यादव- 138
ब्रजेश यादव- 138
रवींद्र प्रताप यादव- 137
राम अशोक यादव- 139
राम कुमार यादव- 140
सत्येंद्र बहादुर यादव-138
शिव कुमार यादव- 139
अनिल कुमार यादव- 139
नीतू यादव- 138
अशोक कुमार यादव- 137
देव कुमार यादव- 140
रमेश चंद्र यादव- 140
सुप्रिया यादव- 139
विकास यादव- 139
सुशील कुमार यादव- 140
ममता यादव- 140
कितनों का नाम गिनाएं...पीसीएस 2011 परीक्षा का इंटरव्यू अखिलेश यादव सरकार के समय पिछले साल हुआ था.
चौंकाने वाली बात यह है कि पिछड़े वर्ग में 86 उम्मीदवारों को चुना गया, जिसमें से 50 यादव थे. एकाध उम्मीदवारों को छोड़कर यादव जाति में सभी उम्मीदवारों को 135 से 140 के बीच इंटरव्यू में नंबर मिले. खास बात यह रही कि यादव जाति के जिन उम्मीदवारों के नंबर मेंस में दूसरे उम्मीदवारों से कम रहे, वो भी इंटरव्यू में सबसे ज्यादा नंबर पा गए.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी के विभागाध्यक्ष मुश्ताक अली लोक सेवा आयोग के इम्तिहानों में उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेते रहे हैं. मुश्ताक साहब ने खुफिया कैमरे पर लोक सेवा आयोग की कलई खोल दी. इन्होंने खुलासा किया कि भले ही सरकार इंटरव्यू बोर्ड को जितना भी गोपनीय रखे, फिर भी कहीं ना कहीं सिफारिश अपना काम कर जाती है.
यूपी पीसीएस के सचिव अनिल कुमार यादव ने कहा है कि आयोग की कार्य प्रणाली पूरी तरह पारदर्शी है. उम्मीदवारों को योग्यता के हिसाब से अंक मिले हैं. इसे जाति या धर्म के चश्मे से देखना गलत है. वैसे भी चयन प्रक्रिया में आयोग के अध्यक्ष या सचिव का कोई दखल नहीं होता. इंटरव्यू बोर्ड को तो छात्र का रोल नंबर भी मालूम नहीं होता. रही बात स्केलिंग की तो उसका फॉर्मूला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बना है. इसमें तो डाटा फीड करने पर अंक अपने आप आ जाते हैं. इस तरह के आरोपों का तो कोई आधार ही नहीं है.
बहरहाल, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की हकीकत क्या है, यह अब पूरी तरह सामने आ चुकी है.