फ्री लैपटॉप देने की यूपी सरकार की महत्वपूर्ण योजना की बेहद सुस्त रफ्तार और इसके लिए पात्रों का चयन करने में ढेर सारे नियम-कानूनों की कवायद पर एक स्टूडेंट के धैर्य ने जवाब दे दिया. लैपटॉप न मिलने पर उसने खुदकुशी कर ली. यह सनीखेज घटना कानपुर की है.
यहां के बर्रा-4 इलाके की ईडब्ल्यूएस कॉलोनी में रहने वाले और एमएस डिग्री कॉलेज से बीकॉम सेकेंड ईयर के स्टूडेंट आलोक वर्मा (21) ने 6 सितंबर की शाम अपने घर पर बहन के दुपट्टे से फांसी लगाकर जान दे दी. आलोक के पिता और ज्वाला देवी डिग्री कॉलेज, कानुपर में क्लर्क राधेश्याम वर्मा का आरोप है कि लैपटॉप वितरण लिस्ट में नाम न होने से आलोक काफी परेशान था.
वर्मा बताते हैं, 'मैंने उसे लैपटॉप खरीदकर देने का वादा किया था लेकिन मोहल्ले में रहने वाले आलोक के कई साथियों का नाम शिक्षा विभाग की फ्री लैपटॉप पाने वालों की सूची में होने से वह डिप्रेशन में था.' आलोक ने इंटर की परीक्षा आशू साहू इंटर कॉलेज, मझवन से 45 प्रतिशत अंकों से पास की थी और उसके बाद वह मेहरबार सिंह पुरवा स्थित एसएस डिग्री कॉलेज में आगे की पढ़ाई कर रहा था.
हालांकि कानपुर शिक्षा विभाग के अधिकारी बताते हैं कि फ्री लैपटॉप पाने वाले जिन स्टूडेंट्स को प्राथमिकता देनी है, उसमें आलोक शामिल नहीं था. हालांकि दूसरी या तीसरी सूची में इसका नाम आने की उम्मीद है. पुलिस ने भी इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर पड़ताल शुरू कर दी है.
असल में अखिलेश यादव सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना अब अपने लक्ष्य से कोसों दूर रह गई है. इस वर्ष मार्च में योजना की शुरूआत करने के बाद अब तक सरकार केवल 1.82 स्टूडेंट्स को ही फ्री लैपटॉप दे पाई है, जबकि लक्ष्य 2012 में इंटर पास कर आगे की पढ़ाई के लिए एडमिशन लेने वाले सभी 15 लाख स्टूडेंट्स को लैपटॉप देने का था.
इसके अलावा 2013 में इंटर पास करने वाले करीब 18 लाख स्टूडेंट्स को लैपटॉप देने की कोई कार्रवाई नहीं शुरू हुई है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनोज मिश्र आरोप लगाते हैं कि सपा सरकार फ्री लैपटॉप के नाम पर स्टूडेंट्स की भावनाओं से खेल रही है, जिसका खमियाजा सपा को 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उठाना पड़ेगा.