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गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल: हनुमान चालीसा के साथ नमाज भी पढ़ते हैं सुभान अली

गंगा-जमुनी तहजीब के शहर वाराणसी में सुभान अली ने मजहबी एकता की मिसाल पेश की है. सुभान अली अपना सैलून चलाते हैं. पाक माह रमजान में पूरे महीने रोजा रखते हैं और अपने दुकान में रखी गणेश-लक्ष्मी की पूजा करते हैं.

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सुभान अली  हिंदू देवी-देवताओं की पूजा और रोजा भी रखते हैं
सुभान अली हिंदू देवी-देवताओं की पूजा और रोजा भी रखते हैं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • म्यूजिक सिस्टम बजाकर करते हैं पूजा
  • रमजान में पूरे महीने रखते हैं रोजा

आज जब देश में हनुमान चालीसा बनाम अजान को लेकर विवाद चल रहा है, तो ऐसे में सुकून देने वाली तस्वीर गंगा-जमुनी तहजीब के शहर वाराणसी से सामने आई है. जहां एक सैलून संचालक और पेशे से नाई सुभान अली रमजान में रोजा भी रखते हैं और देवी-देवताओं को भी पूजते हैं. सुभान पढ़े-लिखे नहीं हैं, इसलिए दुकान पर म्यूजिक सिस्टम से भजन और हनुमान चालीसा बजाकर पूजा करते हैं.

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सुभान अली रोज की तरह धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर फूल-माला चढ़ाते हैं. सुभान अली बताते है कि हिंदू देवी-देवताओं को पूजने से उन्हें सुकून मिलता है और काम में बरकत भी होती है. वो ऐसा वर्ष 2008 से अपने हिंदू दोस्तों से प्रेरित होकर हिंदुओं की तरह पूजा पाठ शुरू कर दिया. वे बताते हैं कि उनको ऐसा करने से काफी सुकून मिला. उनके काम में तरक्की भी हुई है. सुभान सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं करते हैं, बल्कि रमजान के पाक महीने में बराबर रोजा भी रखते हैं. मौजूदा हालात और अजान बनाम हनुमान चालीसा पर उनका कहना है कि सभी मजहब के लोगों को मिलकर रहना चाहिए.

एक ग्राहक सलमान का कहना है कि सुभान मुस्लिम होते हुए भी हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करता देख उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई. सभी को अपने-अपने तरीके से जीने का हक है. अजान बनाम हनुमान चालीसा पर उन्होंने कहा कि इससे भी उन्हें कोई तकलीफ नहीं है. कम से कम हनुमान चालीसा लाउडस्पीकर पर बजना तो शुरू हुआ. सभी धर्म के लोगों का हक है कि वो अपने भगवान को याद करें.

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