सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मिली 5 एकड़ जमीन को लेने का फैसला किया है. सोमवार को हुई बैठक में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने राज्य सरकार द्वारा 5 एकड़ जमीन को स्वीकार किया. बोर्ड ने इस जमीन के लिए ट्रस्ट गठित करने का फैसला लिया. जमीन पर एक मस्जिद का निर्माण किया जाएगा
सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक में फैसला लिया गया कि अयोध्या में मिली जमीन पर मस्जिद बनाई जाएगी, जो कई सदियों की इंडो इस्लामिक संभ्यता को दर्शायेगा. भारतीय और इस्लामिक संभ्यता के अनुवेशन और अध्ययन के लिए एक केंद्र की स्थापना की जाएगी. इसके साथ ही एक चेरिटेबल हॉस्पिटल और एक लाइब्रेरी बनाने का भी फैसला हुआ.
दो सदस्यों ने किया बहिष्कार
सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक में 6 सदस्य शामिल हुए, जिसमें चेयरमैन ज़ुफर फारूकी, अदनान फरूक शाह, जुनैद सिद्दीकी, सैयद अहमद अली, अबरार अहमद, जुनीद अहमद रहे. वहीं, दो सदस्यों अब्दुल रज्जाक खान और इमरान माबूद ने बैठक का बहिष्कार किया. इनका कहना है कि शरीयत मस्जिद के बदले कुछ भी लेने की इजाजत नहीं देती है. बोर्ड को सरकारी जमीन नहीं लेनी चाहिए.
धन्नीपुर में दी गई जमीन
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत अयोध्या में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ भूमि दिए जाने के प्रस्ताव पर योगी कैबिनेट ने 5 फरवरी को मुहर लगा दी थी. प्रदेश सरकार ने मस्जिद के लिए केंद्र सरकार को तीन स्थानों के विकल्प दिए थे. इसके तहत केंद्र ने बोर्ड को अयोध्या में जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूरी पर ग्राम धन्नीपुर तहसील सोहावल में थाना रौनाही से लगभग 200 मीटर पीछे भूमि का आवंटन किया गया.