सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुनवाई जारी है. 6 अगस्त से शुरू हुई रोजाना सुनवाई का आज तीसरा दिन था. गुरुवार को रामलला के वकीलों ने अपनी राय रखी और इस दौरान अदालत ने उनसे कई सवाल भी पूछे. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या रामजन्मभूमि भी एक व्यक्ति है? इस पर रामलला के वकील की तरफ से कहा गया है कि हां, वह सजीव है.
दरअसल, मामले की सुनवाई के दौरान रामलला के वकील के. परासरण ने अपने तर्क रखे. उन्होंने बताया कि अदालत ने जब रामजन्मभूमि को मुद्दई मानने से इनकार कर दिया था, तब रामलला को पक्षकार बनना पड़ा. क्योंकि रामलला नाबालिग हैं, इसलिए उनके दोस्त मुकदमा लड़ रहे हैं.
उन्होंने अदालत को बताया कि पहले देवकीनंदन अग्रवाल ने ये मुकदमा लड़ा, अब में त्रिलोकीनाथ पांडेय लड़ रहे हैं.
इसके बाद जस्टिस अशोक भूषण ने रामलला के वकील से पूछा कि क्या जन्मस्थान को व्यक्ति माना जा सकता है, जिस तरह उत्तराखंड की हाईकोर्ट ने गंगा को व्यक्ति माना था? इस पर के. परासरण ने कहा कि हां, रामजन्मभूमि व्यक्ति हो सकता है और रामलला भी. क्योंकि वो एक मूर्ति नहीं, बल्कि एक देवता हैं. हम उन्हें सजीव मानते हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई 6 अगस्त को शुरू हुई है. पहले और दूसरे दिन निर्मोही अखाड़ा ने अपना पक्ष रखा और फिर रामलला के वकील की तरफ से दलीलें पेश की गईं.
गुरुवार को ही रामलला के वकील के. परासरण ने अदालत को बताया कि हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान माना है. इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है कि ये भगवान राम का जन्मस्थान है.