सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अनुसूचित जाति-जनजाति के (SC/ST) कर्मचारियों से संबंधित प्रमोशन में आरक्षण मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट के इस फैसले का बसपा प्रमुख मायावती ने स्वागत किया है.
मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कुछ हद तक स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण पर रोक नहीं लगाई है और साफ कहा है कि केंद्र या राज्य सरकार इस पर फैसला लें. उन्होंने कहा कि बसपा की मांग है कि सरकार प्रमोशन में आरक्षण को तुरंत लागू करे.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नागराज मामले के फैसले को कुछ बदलावों के साथ बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा कि इस पर फिर से विचार करना जरूरी नहीं और न ही आंकड़े जुटाने की जरूरत है. जबकि 2006 में नागराज मामले में कोर्ट ने शर्त लगाई थी कि प्रमोशन में आरक्षण से पहले यह देखना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं.
इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सविधान पीठ ने 30 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज यानी बुधवार को निर्णय आया है.
बता दें कि मायावती लगातार प्रमोशन में आरक्षण की मांग करती रही हैं. जबकि 2011 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी पदोन्नति में आरक्षण के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था. इसके बावजूद यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने दलित समुदाय को प्रमोशन में आरक्षण दिया था.
जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने क्या कहा
इस फैसले पर जनता दल(यू) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि यह संवैधानिक प्रक्रिया है. संविधान सभा में भी इन प्रश्नों को लेकर लंबी बहस हुई थी. हमारे कानूनविद और संविधान निर्माताओं ने तब समान अवसर का जो कॉन्सेप्ट है उसको स्वीकार किया था.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि बिहार की एनडीए सरकार पहले ही इसको लागू कर चुकी है. अब राज्य सरकारों के सामने यह चुनौती है कि वह कैसे निपटती हैं. हमने पूरे देश को रास्ता दिखाया है.
जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों की किसी भी राज्य में अब यह स्थिति नहीं है कि इसपर पलटकर फैसला करें. यह चुनावी वर्ष है. राजनीति के तहत ही प्रमोशन रोके जाते थे और राजनीति के तहत ही प्रमोशन होंगे.