निलंबित आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल की बहाली अधर में लटकी हुई है. इस बीच जानकारी ये मिली है कि दुर्गा के तबादले का आदेश आधी रात को दफ्तर खोलकर जारी किया गया. हालांकि उस वक्त सीएम अखिलेश यादव बैंगलुरु में मौजूद थे.
जानकारी ये भी मिली है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी दुर्गा के निलंबन के पक्ष में नहीं थे. लेकिन सरकार के एक मंत्री और खनन माफियाओं के दबाव में पहले नोएडा के खनन अधिकारी आशीष कुमार का तबादला किया गया और फिर दुर्गा शक्ति नागपाल को धार्मिक स्थल की दीवार गिरानें के बाद पैदा हुए कथित तनाव की वजह से निलंबित किया गया. जबकि स्थानीय पुलिस के मुताबिक ऐसा कोई तनाव नहीं था जिससे माहौल खराब होता.
आखिर वो कौन सी वजह थी जिसके चलते आनन-फानन में आधी रात को दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित किया गया. क्या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इसकी इत्तला दी गयी थी और क्या वजह थी कि अगले दिन सुबह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव निलंबन का सर्मथन करते नजर आये.
पार्टी प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि तबादला और निलंबन किसी भी मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है. इसपर कोई सवाल नहीं उठाना चाहिये. विपक्ष इसमें राजनीति कर रहा हैं. रही बात आईएएस एसोसिएशन के शिकायत दर्ज करने की तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में इतनी तो छूट है कि लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकें.
सरकार भले ही ये तर्क दे रही है कि दुर्गा का तबादला धर्म स्थल की दीवार तोड़ने के मामले में किया गया. मगर हकीकत ये है कि अवैध खनन रोकने के कारण ही दुर्गा को निलंबन झेलना पड़ा. बताया जाता है कि एक सप्ताह में अवैध खनन रोकने की ताबड़तोड़ कार्यवाही से खनन माफियाओं का भारी नुकसान हो गया था. नोएडा में 18-24 जुलाई के बीच अवैध खनन के पंद्रह मामले पकड़े गये. तीन जेसीबी और चालीस गाड़ियां जैसे डम्पर, टैक्टर, ट्राली आदि जब्त कर लिये गये. इससे यमुना और हिंडन से बालू के अवैध खनन में लगे लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा. इससे नाराज खनन माफियाओं ने सबसे पहले खनन अधिकारी आशीष कुमार का तबादला कराया. वो 25 जुलाई को वहां से रिलीव हो गये और फिर तीन दिन बाद एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को भी सस्पेंड कर दिया गया.
अवैध खनन के बारे में समाजवादी सरकार के मंत्री आजम खां के मुताबिक ये तो कुदरत की देन है इसपर सबका हक है. राम नाम का जाप करो. लूट सके तो लूट.
फिलहाल दुर्गा शक्ति के निलंबन की वापसी पर सस्पेंस बना हुआ है.