उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के एक साल पूरा होते ही जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बीच कड़वाहट पूरी तरह सामने आ गयी.
इमाम ने मुलायम से अपने मन मुटाव को ऐसे शब्दों में जाहिर किया कि अब सुलह के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. बुखारी, मुलायम सिंह यादव के गृह जिले इटावा से समाजवादी सरकार की वादा खिलाफी के विरुद्ध 21 अप्रैल से अभियान छेड़ेंगे.
वहीँ शुक्रवार को जब समाजवादी पार्टी, प्रदेश सरकार अपने एक वर्ष पूरे होने की खुशियों में डूबी हुई थी तब 3, विक्रमादित्य मार्ग पर सन्नाटा पसरा था. ये कोठी है सरकार के कद्दावर मंत्री और पार्टी के मुस्लिम नेता आजम खां की, जिन्हें शायद अपनी पार्टी का जश्न रास नहीं आया. बताया जा रहा है कि आजम, अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव से मिलने भी नहीं गए.
सूत्र बताते है कि आजम अपने घर से बाहर नहीं निकले और न ही किसी से भी मिले जो उनके घर पहुंचे थे उनसे मिलने. गेट पर मौजूद गार्ड ने बताया कि मंत्री जी की तबियत खराब है. वहीँ सुनाने में आ रहा है कि आजम आजकल अखिलेश और मुलायम दोनों से ही नाराज हैं. ये नाराजगी क्यों है इसके बारे में पता नहीं चल सका लेकिन ये खबर भी पक्की मानी जा रही है कि बीमारी की बात कहने वाले मंत्री जी रात में ट्रेन पकड़ कर अपने गृह जनपद रामपुर निकल लिए हैं.
बुखारी और आजम की सरकार से बेरुखी के बाद सवाल उठने लगा है कि सपा सरकार की पहली वर्षगाठ पर ही उसकी मुस्लिम राजनीति के कर्णधार उनसे अलग खड़े नजर आये.
मौलाना ने समाजवादी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के समय मुसलमानों को बराबर की भागीदारी के वादे पर सपा को समर्थन दिया था. मौलाना ने बिना नाम लिए उत्तर प्रदेश के कद्दावर मंत्री आज़म खान पर भी निशाना साधते हुए कहा कि 'मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक ऐसे आदमी को वजीर बनाकर साथ लिए घूमते हैं, जिससे मुसलमान नफरत करते हैं. मुसलमानों की पीड़ा कम से कम मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता. इसलिए मैंने सपा व मुलायम से नाता तोड़ने का फैसला कर लिया है.