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ताजमहल के 22 कमरों की तस्वीरें सामने आते ही HC से फटकार सुनने वाले याचिकाकर्ता ने की ये मांग

हाल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) इन कमरों की तस्वीरें जारी की थी, जिसके आधार पर लखनऊ हाई कोर्ट में याचिका डालने वाले याचिकाकर्ताओं ने 5 सदस्यीय दल को 22 कमरों में जाने की इजाजत मांगी है.

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ताजमहल (फोटो-PTI)
ताजमहल (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • याचिकाकर्ता ने ASI और संस्कृति मंत्रालय को लिखी चिट्ठी
  • 5 सदस्यीय दल को 22 कमरों में जाने की इजाजत मांगी

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग मिलने के दावे के बीच ताजमहल के 22 कमरों का राज खोलने की मांग फिर से उठी है. हाल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) इन कमरों की तस्वीरें जारी की थी, जिसके आधार पर लखनऊ हाई कोर्ट में याचिका डालने वाले याचिकाकर्ताओं ने 5 सदस्यीय दल को 22 कमरों में जाने की इजाजत मांगी है.

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ताजमहल के बंद पड़े 22 कमरों को खुलवाने के लिए याचिकाकर्ता की तरफ से ASI और  संस्कृति मंत्रालय को चिट्ठी भेजी गई है, जिसमें 5 लोगों के दल को ताजमहल में बंद पड़े 22 कमरों में जाने की इजाजत देने की मांग की गई है. पांच सदस्य दल में Researcher, Architect planner, Historian, Advocate and one Academician होंगे.  

भेजे गए पत्र में ताजमहल की जमीन के मालिकाना हक का ब्यौरा भी मांगा गया है. इससे पहले ASI ने ताजमहल के 22 कमरों की तस्वीर जारी की थी. आगरा ASI प्रमुख आरके पटेल ने आजतक को बताया था कि तस्वीरें जनवरी 2022 के न्यूजलेटर के रूप में ASI की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, कोई भी उनकी वेबसाइट पर जाकर देख सकता है. 

ASI ने जारी की यह तस्वीरें

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता रजनीश कुमार की ओर से दायर ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद ASI ने इन बंद कमरों की तस्वीर शेयर की. तस्वीरें उस वक्त की हैं, जबर चूने की पैनिंग सहित रेनोवेशन का काम किया गया था.

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बताया जा रहा है कि इस काम में करीब 6 लाख रुपये का खर्च आया था. आगरा ASI प्रमुख आरके पटेल ने कहा था कि कमरों के अंदर किए गए मरम्मत कार्य की तस्वीरें जारी की गई हैं. वहीं पर्यटन उद्योग के सूत्रों ने बताया कि इन कमरों में क्या है, इस बारे में गलत बातें न फैलें, इसे रोकने के लिए ही इन तस्वीरों को सार्वजनिक किया गया है.

इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीजेपी नेता की याचिका पर कहा था कि कमरे को खोलने की मांग के लिए किसी भी ऐतिहासिक शोध की जरूरत है, हम रिट याचिका पर विचार करने में सक्षम नहीं हैं. हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि इस मुद्दे पर रिसर्च करो, इसके लिए एमए, पीएचडी करो, कोई न करने दे तो हमारे पास आओ.

 

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