दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल को वक्फ बोर्ड के हवाले किए जाने की मांग पहले ही आ चुकी है. आजम खान के इस बयान के बाद ताज पर राजनीति शुरू हो चुकी है, वहीं उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने विवाद को नया मोड़ दे दिया है. वाजपेयी का दावा है कि विश्व ऐतिहासिक विरासत ताजमहल प्रचीन तेजो महालय मंदिर का हिस्सा है.
वाजपेयी का कहना है कि मुगल शासक शाहजहां ने मंदिर की कुछ जमीन को राजा जय सिंह से खरीदा था. उनका का दावा है कि इससे संबंधित दस्तावेज अभी भी मौजूद हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा जमाए बैठे यूपी सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खान की नजर अब विश्व विरासत इमारत ताजमहल पर है. उन्होंने कहा, 'ताजमहल में पांच वक्त की नमाज पढ़ने का आजम का सपना कभी नहीं पूरा हो पाएगा.'
वक्फ मंत्री आजम ने मुतवल्लियों के 13 नवंबर को हुए सम्मेलन में कहा था कि वह राज्य सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड से कहेंगे कि वह ताजमहल को बोर्ड की संपत्ति बनाए और उन्हें उसका मुतवल्ली नियुक्त कर दें. हालांकि जब इस बयान पर संवाददाताओं ने आजम से सवाल किया तो वह पलट गए और कहा, 'आप लोग मजाक को गंभीरता से क्यों ले लेते हो?'
इसके बाद आगरा के एक संगठन 'इमाम ए रजा' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मांग की कि ताजमहल को वक्फ की संपत्ति घोषित करें और मोहर्रम के दौरान वहां मातम की इजाजत दें. हालांकि, शियाओं के प्रमुख धर्मगुरुओं ने ताज को शिया वक्फ बोर्ड की संपत्ति माने जाने की मांग को खारिज करते हुए कहा कि विश्व विरासत इमारतों को ऐसे विवादों से दूर रखना चाहिए .
-इनपुट भाषा से