लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई भागों में प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच जाने के बाद मंगलवार को हाईकोर्ट ने इस बारे में प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों समेत सरकार के अफसरों को तलब किया. कोर्ट ने अधिकारियों से सीधे-सीधे यह पूछा कि कागजी कार्रवाई करने के बजाए वह यह बताएं कि फौरन इस पर काबू पाने के लिए कौन से उपाय किए जा सकते हैं. हाई कोर्ट ने इस बारे में प्रभावी उपाय पेश करने के लिए यूपी सरकार को बुधवार को फिर से बुलाया है.
कोर्ट ने प्रदूषण पर दिए शख्त आदेश
सोमवार को ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस बारे में अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा था कि प्रदूषण को काबू में करने के लिए तत्काल उपाय किए जाएं. कोर्ट की फटकार और मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों समेत तमाम संबंधित विभागों से के साथ बैठक की और स्थिति का जायजा लिया.
प्रदूषण पर सरकार हुई सख्त
मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के विरुद्ध अभियान चलाकर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सड़कों पर सफाई के बाद अगर धूल उठे तो पानी का छिड़काव किया जाए. 2 दिन के लिए स्टोन क्रेशर और कंस्ट्रक्शन साइट्स पर मिट्टी की खुदाई पर रोक लगाई जाए.
राज्य प्रदूषण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को प्रदूषण की स्थिति में मामूली सुधार तो हुआ लेकिन अभी भी स्थिति खतरनाक बनी हुई है. जिस पार्टिकुलेट मैटर Pm 2.5 को 60 के नीचे होना चाहिए. वह मंगलवार की सुबह 378 था.
प्रदूषण के कण काफी छोटे हैं
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजिल रिसर्च के वरिष्ठ वैज्ञानिक एससी बर्मन का कहना है कि इस बार लखनऊ के प्रदूषण में एक नई और खतरनाक बात सामने आई है. हवा में प्रदूषण के कण बहुत छोटे हैं. जो सांस के जरिए शरीर में जाकर सीधे खून में पहुंच सकते हैं. डॉ बर्मन के मुताबिक प्रदूषण के कारण जितने छोटे होंगे उतने ही खतरनाक होंगे. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि बुधवार से मौसम में कुछ परिवर्तन होने की उम्मीद है और हो सकता है उसके बाद इस जानलेवा प्रदूषण से कुछ राहत मिले.