यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाने की अधिसूचना जारी होने के साथ ही तमाम अटकलों पर विराम लग गया. दो महीने से उनके राज्यपाल बनने को लेकर कयास लगाए जा रहे थे.
तब चर्चा थी कि कल्याण सिंह सक्रिय राजनीति में ही रहना चाहते हैं, इसलिए उन्हें राजभवन भेजा जाना तय नहीं है. लेकिन अब तस्वीर साफ हो चुकी है.
अंदरखाते यह भी चर्चा है कि राजभवन जाने के लिए उन्हें मनाने का एक मसौदा तैयार किया गया, ताकि भगवा झंडे तले यूपी में उनका राजनीतिक कद बना रहे और पिछड़ा विशेषकर पश्चिमी जिलों का लोध वोट बैंक पार्टी से जुड़ा रहे.
सूत्रों के अनुसार, मसौदे के तहत उनके बेटे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजवीर सिंह 'राज' को संगठन स्तर पर यूपी में महत्वपूर्ण पद या फिर केंद्र सरकार में स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया जा सकता है. बेटे के 'कल्याण' की इसी शर्त पर कल्याण सिंह को मनाया गया है. कल्याण सिंह ने अपनी पुरानी साख और पिछड़े वोटबैंक का हवाला देकर पार्टी को इसके लिए राजी किया है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी कल्याण सिंह ने इसके लिए मनाया, ताकि साल 2017 में यूपी के विधानसभा चुनाव में कल्याण खेमे की भूमिका अहम हो सके. लेकिन पार्टी के स्तर से अभी तक इस संबंध में कुछ भी नहीं कहा गया है.