उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट, जिसे गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है, आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच लड़ाई का अहम अखाड़ा हो सकती है. बीजेपी और सपा ने अब तक यहां से अपने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है. ऐसे में AAP प्रत्याशी कुमार विश्वास ही राहुल गांधी के लिए एकमात्र प्रकट चुनौती के रूप में दिख रहे हैं.
कुमार ने उम्मीदवारी के ऐलान से पहले ही अमेठी में रहना शुरू कर दिया था. एक महीने से वह लगातार अमेठी में घूम-घूम कर प्रचार कर रहे
हैं.
कवि से नेता बने कुमार विश्वास अमेठी में विकास, राहुल गांधी की 'वादाखिलाफी' और परिवारवाद को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में हैं. लेकिन एक मुद्दा है जिस पर उन्हें हाथोंहाथ स्थानीय लोगों का समर्थन मिल रहा है. वह है अमेठी की सड़कों की बदहाली. खास तौर से वह सड़क जो रायबरेली तक जाती है.
कुमार अच्छी तरह जानते हैं कि अमेठी के लोग सड़कों की बदहाली से परेशान हैं, इसलिए वह इसे चुनावी मुद्दा बनाने से नहीं चूक रहे. हाल ही में उन्होंने कहा था, 'महिलाओं ने मुझे बताया कि रायबरेली और अमेठी के बीच सड़क की हालत इतनी खराब है कि गड्ढों की वजह से ही एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं की डिलीवरी हो गई.'
हालांकि अमेठी के लोग कुमार विश्वास के सहारे और इशारे के इंतजार में हों, ऐसा नहीं लगता. हालांकि जब हम अमेठी से रायबरेली की तरफ बढ़े, तो लोगों में गुस्से की वजह साफ होती गई. बहादुरपुर होते हुए गौरीगंज से जो सड़क फुरसतगंज जाती है, वह अच्छे कंस्ट्रक्शन और रखरखाव के अभाव की वजह से लगभग गायब हो गई है. स्थानीय लोग इस बारे में राहुल को कई बार याद दिला चुके हैं.
हैरत की बात यह है कि राहुल के अधीनस्थ नेता अमेठी की बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करते हैं. अमेठी के कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा ने सड़क बनवाने के लिए आवंटित की गई रकम की जानकारी दी. पार्टी के अनुमान के मुताबिक, अमेठी से गुजरने वाले 240 किलोमीटर लंबे नेशनल हाइवे को बनाने और मरम्मत के लिए करीब 800 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
अमेठी में राहुल के प्रतिनिधि चंद्रकांत दुबे कहते हैं, 'हम सड़क का काम करवा रहे हैं. जो भी सड़कों की बदहाली के लिए जिम्मेदार पाया जाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा.'
अमेठी के डीएम जगतराज कहते हैं, 'मैं सड़कों पर कमेंट नहीं करूंगा क्योंकि वह मेरे अधिकार के तहत नहीं आतीं. लेकिन त्योहारों के दौरान लोगों को दिक्कतें आती ही हैं.'
लेकिन सड़क बनवाने की प्रक्रिया में यह तेजी राहुल के दूसरे कार्यकाल के आखिरी समय में ही क्यों देखी जा रही है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. जाहिर है, स्थानीय लोग तो यही मानते हैं कि जो कुछ किया जा रहा है चुनावों के मद्देनजर किया जा रहा है.
राहुल ने ऑस्कर फर्नांडीज को अमेठी की सड़कों का जायजा लेने के लिए भेजा था. 25 जनवरी को जब वह यहां पहुंचे थे तो उन्होंने सारा ठीकरा खराब कंस्ट्रक्शन वर्क पर फोड़ा था.
कुमार विश्वास को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद खुद राहुल ने भी अमेठी दौरा किया. उन्होंने सड़कों की बदहाली का दोष प्रदेश सरकार पर मढ़ा. हालांकि यह तथ्य है कि अमेठी से होकर गुजरने वाली 7 सड़कें नेशनल हाइवे से जुड़ती हैं और स्टेट हाइवे से नेशनल हाइवे में तब्दील होने से पहले ही उन्हें बनाने और मरम्मत का खर्च सीआरएफ (सेंट्रल रोड फ्रंट) फंड करती है. हालांकि काम प्रदेश की एजेंसियां करती हैं, लेकिन उसकी देखरेख केंद्र के ही हाथ में ही होती है.