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तब मौलाना ने ठुकराया था केजरीवाल का न्‍योता

यूपी की सियासी हवाओं की चाल भांपने में माहिर इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा दिल्ली की सियासत की चाल नहीं समझ सके. अगर समझ गए होते तो देश की राजधानी में अरविंद केजरीवाल के साथ ही मौलाना तौकीर रजा खां का भी डंका बज रहा होता.

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दिग्विजय सिंह के साथ एक कार्यक्रम के दौरान मौलाना तौकीर
दिग्विजय सिंह के साथ एक कार्यक्रम के दौरान मौलाना तौकीर

यूपी की सियासी हवाओं की चाल भांपने में माहिर इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष और बरेलवी संप्रदाय की प्रमुख हस्ती मौलाना तौकीर रजा दिल्ली की सियासत की चाल नहीं समझ सके. अगर समय रहते वह यह समझ गए होते तो देश की राजधानी में अरविंद केजरीवाल के साथ ही मौलाना तौकीर रजा खां का भी डंका बज रहा होता.

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हालांकि दिल्ली के चुनाव में मुसलमान पूरी तरह से आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े मिले, लेकिन मौलान इसका श्रेय लेने का मौका चूक गए. केजरीवाल के बुलावे पर वह दिल्ली भी नहीं गए. इससे पूर्व नवंबर के पहले हफ्ते में केजरीवाल ने मौलाना तौकीर रजा से बरेली में मौजूद उनके घर पर मुलाकात की थी. इसके अगले दिन से ही इस मुलाकात को लेकर विवाद खड़ा हो गया. इससे मौलाना कशमकश में फंस गए.

मौलाना के साथ एक तरफ सपा था, जिसके साथ वह राज्यमंत्री होने की वजह से हिस्सा हैं. उनकी पार्टी ऑल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल का सपा से लोकसभा में चुनावी तालमेल हो चुका है. मौलाना ने यह कहने के बावजूद कि केजरीवाल के साथ का कोई न कोई रास्ता निकाल लेंगे, गठबंधन धर्म की मर्यादा में उलझ गए. वह दिल्ली जाकर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों का प्रचार नहीं कर सके. संभव है कि उनके मन में यह भी हो कि केजरीवाल उन्‍हें फिर से दिल्‍ली आने का न्‍योता देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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निश्‍चय ही दिल्‍ली में जैसे नतीजे सामने आए हैं. यदि मौलाना केजरीवाल के साथ होते तो आज उनका सीना भी कामयाबी से फूल गया होता और उनकी पार्टी रविवार को बरेली में जश्न मना रही होती. बहुत संभव था कि तब वह यूपी की राजनीति में भी नई इबारत लिख रहे होते.

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