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तीन महीने की फातिमा अब घर पर मनाएगी ईद, कामयाब हुई कार्डियक सर्जरी

तीन महीने की जुबिया फातिमा को जन्म से सुपरकार्डियक टीएपीवीडी (टोटल एनोमैलस पल्मोनरी वेनस ड्रेनेज) बीमारी थी. इस बीमारी के कारण फेफड़ों से आने वाला रक्त दिल तक नहीं पहुंचता.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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तीन महीने की जुबिया फातिमा करीब सात घंटे की सफल हृदय शल्यक्रिया (congenital heart disease) के बाद अब अपनी पहली ईद घर पर मनाएगी. जुबिया जन्म से ही दिल की एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी. फेफड़ों पर ज्यादा प्रेशर के कारण उसे पल्मोनरी आर्टिरियल हाइपरटेंशन भी था.

उत्तर प्रदेश के लखनऊ की इस मासूम को दुर्लभ सुपरकार्डियक टीएपीवीडी (टोटल एनोमैलस पल्मोनरी वेनस ड्रेनेज) बीमारी थी. इस बीमारी के कारण फेफड़ों से आने वाला रक्त दिल तक नहीं पहुंचता.

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के पीडिएट्रिक कार्डियो-थोरेसिक सर्जन मुथु जोठी ने कहा कि जुबिया का जन्म ऐसे माता-पिता से हुआ था जो निकट संबंध रखते हैं और उसका जन्म समय से पूर्व सीजेरियन से हुआ था. हालांकि, जन्म के एक सप्ताह के बाद ही बच्ची का शरीर नीला पड़ने लगा और एक महीने की उम्र से ही उसकी सांसें तेजी से चल रही थीं.

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डॉ. मुथु जोथी ने बताया कि बच्ची में एक प्रकार की जन्मजात दिल की बीमारी सुप्राकार्डियक टीएपीवीडी पाई गई, जिसमें फेफड़ों (पल्मोनरी वेन) से आने वाला खून दिल के पीछे एक कॉमन चैम्बर में आता है. इस वजह से फेफड़ों से आने वाले खून दिल तक नहीं पहुंच पाता.

उन्होंने बताया कि कॉमन चैम्बर से निकलने वाली वेन्स दिल के दाएं हिस्से से जुड़ी होती हैं, जिसकी वजह से जो खून दिल के बाएं हिस्से में जाना चाहिए, वह दाएं हिस्से में पहुंचता है. इसके कारण ऑक्सीजन से युक्त और ऑक्सीजन से रहित खून आपस में मिल जाता है. ऐसे में बच्चे के जीवित रहने का एक ही तरीका है कि उसके दिल के दोनों ऊपरी चैम्बर्स (दाएं और बाएं एट्रियम) के बीच छोटा छेद हो, लेकिन इससे दिल के बाएं हिस्से में मिश्रित खून जाएगा और यही खून पूरे शरीर में पहुंचेगा. ऐसे में बच्चे का शरीर नीला पड़ने लगता है और फेफड़ों पर प्रेशर बढ़ जाता है. डॉ. जोथी ने बच्ची का ईको (ईकोकार्डियोग्राम) करने पर पाया कि पल्मोनरी वेन्स वास्तव में अलग-अलग जगह पर खुल रही थीं.

डॉ. ने बताया कि उसके माता-पिता ने अपने शहर में डॉक्टरों से दिखाया. डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए दिल्ली भेज दिया. जुबिया करीब चार दिन तक वेंटीलेटर पर रही और उसे आठ अप्रैल को सर्जरी के एक सप्ताह बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

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बच्ची की मां ने कहा कि अपने बच्चे को स्वस्थ देखने से बढ़कर कोई खुशी नहीं होती. हम डॉक्टरों का दिल से आभार जताते हैं. साथ ही कहा कि डॉक्टर कभी हार नहीं मानी और कभी हमें निराश नहीं होने दिया.

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