
उत्तर प्रदेश के बहराइच से हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां पर नदी के काटन को रोकने के लिए ग्रामीणों ने अनोखा देसी जुगाड़ लगाया है. ग्रामीणों ने पेड़ों और उसकी टहनियों को खूंटे से बांधकर नदी के किनारे डालना शुरू किया.
ऐसा करने से नदी की लहरें जमीन से सीधे टकराने की बजाए पेड़ों और टहनियों से टकराने लगीं. इसकी वजह से मिट्टी का कटान रुकने लगा. इस परेशानी से मुकाबला करने के लिए ग्रामीणों ने रस्सी और अन्य सामानों को खरीदने के लिए WhatsApp के जरिए लोगों से आर्थिक मदद मांगी है.
घाघरा नदी के कटान से हुई बड़ी तबाही
घाघरा नदी से हो रहे कटान ने बहराइच जिले की चार तहसीलों कैसरगंज, महसी, नानपारा और मोतीपुर में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है. कटान प्रभावित सैकड़ों गांव सरकारी स्कूल, पंचायत भवन नदी में डूबकर अपना अस्तित्व खो चुके हैं. हर साल बड़े पैमाने पर हो रहे कटान से हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि नदी की धारा में समा गई है.
त्रासदी का आलम यह है कि यहां रहने वाले लोग दूसरे स्थानों पर जाने के लिए मजबूर हो गए हैं. इनमें कुछ ऐसे लोग हैं जो काटन की वजह से भूमिहीन हो गए हैं. वे नदी के किनारे झोपड़ी बनाकर रहने के लिए मजबूर हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि कटान प्रभावित इलाकों का हाल देखने के बाद वे डर गए. कैसरगंज तहसील क्षेत्र के मंझारा तौकली और ग्यारह सौ रेती गांव के लोग अपने स्तर से प्रशासन के पास मदद मांगने पहुंचे. मगर, उन्हें कोई मदद नहीं मिली. इसके बाद ग्रामीणों ने देसी जुगाड़ लगाकर इस काटन को रोकने के प्रयास शुरू कर दिए.
चुनाव में उछला मुद्दा, फिर पड़ गया ठंडा
ग्रामीणों का कहना है कि चुनावों के दौरान यह मुद्दा काफी उछला था. काटन को रोकने के लिए अनशन भी किया गया था. नेताओं और प्रशासन के अधिकारियों ने भरोसा भी दिलाया था. मगर, जमीनी स्तर पर काटन रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए.
ऐसे में स्थानीय स्तर पर लोग खुद ही काटन रोकने के लिए काम कर रहे हैं. महिलाएं और बच्चे भी इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं. नदी की पूजा अर्चना की जा रही है.