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अयोध्या फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खारिज होने का VHP ने किया स्वागत

अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास ने कहा, ‘मुस्लिम पक्षों की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं का कोई आधार नहीं था. संत समुदाय सुप्रीम कोर्ट के इस एक और फैसले का स्वागत करता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका (प्रतीकात्मक तस्वीर)
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका (प्रतीकात्मक तस्वीर)

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  • अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 18 पुनर्विचार याचिकाएं खारिज
  • निर्मोही अखाड़े ने सरकार से की मंदिर निर्माण ट्रस्ट में मुख्य भूमिका की मांग

सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या मालिकाना हक मामले में 9 नवंबर को दिए गए फैसले को चुनौती देने वाली सभी पुनर्विचार याचिकाएं को खारिज किए जाने का शीर्ष संतों और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने स्वागत किया है. उन्होंने इस घटनाक्रम पर खुशी जताते हुए कहा कि अब मंदिर नगरी में जल्दी ही भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया ऐतिहासिक

अयोध्या में अस्थाई राम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास ने इंडिया टुडे से कहा, ‘शीर्ष कोर्ट ने एक बार फिर ऐतिहासिक फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट के नवंबर में दिए गए फैसले को चुनौती देने की कोई जरूरत नहीं थी. मैं समझता हूं राम मंदिर निर्माण के लिए शीघ्र ट्रस्ट बनेगा और करोड़ों हिन्दुओं का भव्य राम मंदिर देखने का सपना पूरा होगा.’  

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पुनर्विचार याचिकाओं का नहीं था कोई आधार

अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास ने कहा, ‘मुस्लिम पक्षों की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं का कोई आधार नहीं था. संत समुदाय सुप्रीम कोर्ट के इस एक और फैसले का स्वागत करता है. अयोध्या पर फैसले के बाद देश में शांति और कौमी सौहार्द है. इसी में बाधा डालने के मकसद से पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई.’

शांतिपूर्ण माहौल में मंदिर निर्माण पर जोर

निर्मोही अखाड़ा से जुड़े महंत धीरेंद्र दास ने शांतिपूर्ण माहौल में मंदिर निर्माण किए जाने पर जोर दिया. महंत दास ने कहा, ‘राम मंदिर शांतिपूर्ण माहौल में बनना चाहिए. भगवान राम के जन्मस्थल पर भव्य मंदिर बनाया जाएगा. मुस्लिम समुदाय को मस्जिद की तामीर के लिए पांच एकड़ जमीन दी जाएगी. हमारी मांग है कि मंदिर निर्माण के लिए सरकार की ओर से बनाए जाने वाले ट्रस्ट में हमें मुख्य भूमिका दी जानी चाहिए.’

विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने पुनर्विचार याचिकाएं खारिज किए जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. लेकिन साथ ही अपनी इस मांग को दोहराया कि मस्जिद बनाने के लिए जो पांच एकड़ ज़मीन दी जानी है वो अयोध्या में परिक्रमा मार्ग से बाहर दी जानी चाहिए. शर्मा ने कहा कि वीएचपी को उम्मीद है कि केंद्र सरकार उनकी इस मांग को स्वीकार करेगी.

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टाइटल सूट में बाबरी मस्जिद पक्ष के अहम वादकारी इकबाल अंसारी ने कहा, ‘9 नवंबर के फैसले को मुस्लिम या हिन्दू पक्षों की ओर से चुनौती नहीं दी जानी चाहिए थी. दशकों बाद ये फैसला आया. फैसले के बाद शांति और कौमी सौहार्द बने रहने से साफ है कि इसे पूरे देश ने स्वीकार किया है. इसलिए अब सरकार को शीर्ष कोर्ट की ओर से दिए गए मंदिर और मस्जिद निर्माण के फैसले का पालन करना चाहिए.’ 

कितनी पुर्नविचार याचिकाएं हुईं खारिज?

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय बेंच ने अयोध्या फैसले को चुनौती देने वाली 18 पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल करने वालों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द शामिल रहे.

अखिल भारत हिन्दू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ ज़मीन दिए जाने के आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था.

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