उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में 62 गेहूं खरीदी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. इसकी वजह है कि किसान सरकारी तंत्र की लंबी लाइन से बचने के लिए अपने खेतों से ही अच्छे दाम पर गेहूं व्यापारियों को बेच रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं की मांग बढ़ने पर दाम भी काफी बढ़ गए हैं और ऊपर से सरकार की मुफ्त राशन योजना के चलते भी गेहूं की मांग बढ़ी है. रबी की फसल का सरकारी दाम 2015 रुपये है जबकि आढ़ती यानी व्यापारी खेत से ही किसानों की उपज को 2050 रुपये से ज्यादा का दाम देकर नकद खरीद रहे हैं.
13 दिन बाद भी गेहूं क्रय केंद्रों पर प्रभारी मायूस
योगी सरकार ने प्रदेश के किसानों के गेहूं की खरीद के लिए बीते 1 अप्रैल से गेहूं क्रय केंद्रों का संचालन शुरू करवा दिया है. संचालन शुरू हुए 13 दिन हो रहे हैं लेकिन अभी तक केंद्रों पर किसान अपनी फसल बेचने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं, जिसकी वजह से केंद्र प्रभारियों में मायूसी देखने को मिल रही है. समय बीतता चला जा रहा है लेकिन लक्ष्य के अनुसार गेहूं की खरीद का कार्य नहीं हो रहा है, क्योंकि किसान अपना गेहूं बेचने के लिए सरकारी केंद्रों पर अभी तक नहीं पहुंचा है.
नई मंडी स्थल पर सन्नटा
बाराबंकी के नवीन मंडी स्थल पर सन्नटा पसरा हुआ है. यहां बने सभी कांटों यानी क्रय केंद्रों पर सन्नटा छाया हुआ है, लेकिन शाम होते होते गेहूं से लदी एक ट्रॉली आ गयी, तो मायूस केंद्र प्रभारियों के चेहरे पर मुस्कुराहट दिखी. लेकिन तब भी 99 % किसान अपना गेहूं बेचने के लिए सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर नहीं पहुंच रहे हैं.
केंद्र प्रभारी ने बताया कारण
नवीन मंडी के गेहूं क्रय केंद्र के केंद्र प्रभारी अनूप वर्मा ने बताया, क्षेत्र में इस समय गेहूं की कटाई का कार्य तेजी से चल रहा है. शायद इसी वजह से किसान अपना गेहूं बेचने के लिए क्रय केंद्र पर नहीं आ रहा है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में किसान अपनी उपज बेचने के लिए सरकार की मंशा के अनुरूप सरकारी क्रय केंद्रों पर पहुंचेंगे.
किसान बोले- खेतों से बिक जाता है गेहूं
बाराबंकी के नेवला करसंडागांव में गेहूं की तैयार फसल की कटाई हो रही है. 'आजतक' की टीम ने यहां के किसानों ने बताया कि फसल के अच्छे दाम हम लोगों को व्यापारी यहीं खेत पर आकर दे रहे हैं तो हम सरकारी क्रय केंद्रों पर दलालों के माध्यम से बेचने क्यों जाएं. इसके अलावा, एक किसान शाकिब ने बताया कि आवारा जानवरों की वजह से गेहूं की फसल पहले से कम उपजी है. ये फसल 4 से 5 महीने में तैयार हो जाती है. पहले सरकारी क्रय केंद्रों पर लंबी लाइन लगाकर बेचना पड़ता था. बीच में दलाली भी देनी पड़ती थी. सरकारी पैसा भी 20 से 30 दिन बाद आता था. अबकी बार फसल कटी भी नहीं और बाहर के व्यापारी खेतों पर आकर गेहूं के अच्छे दाम दे रहे हैं. सरकारी भाव से ज़्यादा दाम देकर यहीं से हमारी फसल को ले जा रहे हैं, जिससे भाड़े और पैकिंग करने का पैसा भी बच जाता है.
कैसे होती है क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों से 1 अप्रैल से गेहूं खरीदने की घोषणा की थी. गेहूं खरीद की प्रक्रिया को पारदर्शी और आसान बनाने के लिए सरकार ने एमएसपी पर गेहूं बेचने वाले किसानों को पहले रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया. उत्तर प्रदेश के किसान एमएसपी पर गेहूं बेचने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के लिए किसी भी साइबर कैफे या सुविधा केंद्र पर जाकर यूपी खाद्य और रसद विभाग की वेबसाइट पर जाकर इस लिंक को क्लिक कर https://eproc.up.gov.in/Wheat2223/Uparjan/Home_Reg.aspx रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. इसके लिए वेबसाइट पर 6 स्टेप बनाए गए हैं, जिसमें पहला और 5वां स्टेप का पालन करना अनिवार्य है. और इसके बाद टोकन मिलेगा. हालांकि, जल्दी नंबर लगाने के लिए दलालों के सहारा लेना पड़ता है. फिर गाड़ियों का भाड़ा देकर क्रय केंद्रों तक लाना पड़ता था. लेकिन खेतों पर आढ़ती खुद आने की वजह से अब इन सारे झमेलों में किसान न पड़ कर अपना गेहूं खेत से सीधे ही बेच रहा है.
विपणन अधिकारी ने माना- व्यापारी दे रहे हैं किसानों को गेहूं का अच्छे दाम
ज़िला विपणन अधिकारी रमेश कुमार ने बताया, जिले में 62 गेहूं क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं जिसमें पांच केंद्रों पर गेहूं की खरीद हुई है. मंगलवार तक 450 कुंतल की खरीद हुई थी. अभी जनपद में गेहूं की फसल पूरी तरह से कटी नहीं है, इसलिए जैसे ही फसल कटेगी हमारे यहां आती रहेगी. अभी दाम 2100 रुपये का चल रहा है. जैसे-जैसे ये फसल ज़्यादा आने लगेगी तो दाम गिरेगा और हमारे क्रय केंद्रों पर ज़्यादा खरीद होने लगेगी और इस वर्ष के टारगेट को आसानी से पा लेंगे.
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