आजकल जहां दिल्ली में किसान कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहा है वहीं गाजीपुर के मुहम्मदाबाद क्षेत्र के किसान इन दिनों पारंपरिक रबी और खरीफ की खेती से हटकर सब्जियों की खेती पर जोर दे रहे हैं. ऐसा करने के पीछे कम लागत में अच्छे मुनाफे का मंसूबा लिए पिछले कुछ वर्षों से किसानों अपनी खेती में बदलाव किया है.
गाजीपुर जिले के मुहम्मदाबाद के भांवरकोल ब्लॉक में पाताल गंगा सब्जी मंडी में क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के किसान अब मटर, हरी मिर्च, टमाटर आदि बाहर के व्यापारियों को अच्छे दामों पर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. कृषि बिल पर यहां के किसानों की मिश्रित राय है. कुछ किसान मानते हैं ये अच्छा काम है तो कुछ मानते हैं कि सरकार को कानून वापस लेकर इसे किसानों के लिए और हितकारी बनाना चाहिए.
मुहम्मदाबाद के महेशपुर गांव में मिर्च की खेती करने वाले किसान राम निवास पाण्डे पाताल गंगा सब्जी मंडी में अपनी मिर्च बेचने के लिए पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि हम लोग धान, गेहूं, बाजरा जैसी पारंपरिक खेती को छोड़कर छिम्मी (मटर), मिर्चा, टमाटर आदि की खेती कर रहे हैं, जिससे हम लोगों को नगद पैसा तुरंत प्राप्त हो जाता है.
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उन्होंने आगे कहा कि इस खेती में फायदा भी है, हम लोग पाताल गंगा सब्जी मंडी में अपनी सब्जी बेच देते हैं. यहां बाहर के व्यापारी आते हैं और हमारी सब्जियों का अच्छा दाम लेकर ले जाते हैं. कृषि कानून पर उनका कहना है कि सुंदर विचार है मंडियों के माध्यम से हम लोगों को बाहर के व्यापारी अच्छा दाम दे रहे हैं.
वहीं, दूसरे किसान जवाहर राम का कहना है कि वह और क्षेत्र के 70 फीसदी किसान भी पारंपरिक खेती छोड़कर मिर्च और टमाटर की खेती कर रहे हैं. इनकी ये सब्जियां विदेशों में जा रही हैं जिसका बाहर से आकर व्यापारी अच्छा दाम देकर ले जाते हैं.
कृषि कानूनों पर उन्होंने असहमति जताते हुए कहा कि इसे सरकार को संसद में सर्वसम्मति से वापस ले लेना चाहिए और किसान हित में किसानों को साथ लेकर उनके हित में पुनः बनाना चाहिए जिससे सब खुश रहें.
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