भारत में पहली दफा बनाई गई इंजन रहित सेमी बुलेट ट्रेन T-18 को वंदे भारत एक्सप्रेस का नाम दिया गया है. इस बात की घोषणा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने की है. चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बनाई गई यह ट्रेन दिल्ली और वाराणसी के बीच में 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाई जानी है. इस ट्रेन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. यह ट्रेन कब चलाई जाएगी इसकी अभी घोषणा होनी बाकी है. उधर तमिलनाडु में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने T-18 की तारीफ करते हुए कहा कि इस ट्रेन को डेवलप करने का श्रेय तमिलनाडु को जाता है.
तमिलनाडु में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समय आ गया है T-18 देश में लोगों को हाई स्पीड कनेक्टिविटी देगी. उन्होंने कहा कि ट्रेन को लेकर दुनिया के दूसरे देशों ने भी दिलचस्पी दिखाई है. लिहाजा इस ट्रेन का बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू होगा और इससे तमिलनाडु के युवाओं को बड़े स्तर पर रोजगार मिलेगा. उधर राजधानी दिल्ली में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने T-18 के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आम जनता की तरफ से इस ट्रेन के कई नाम सुझाए गए थे. हमने इसका नाम वंदे भारत एक्सप्रेस रखने का फैसला किया है. गणतंत्र दिवस के मौके पर यह लोगों के लिए गिफ्ट है. हमने प्रधानमंत्री से इस ट्रेन का फ्लैग ऑफ करने का निवेदन किया है.
Railways Minister P Goyal: Train 18 will now be known as Vande Bharat Express. It's a train built completely in India by Indian engineers, in a span of 18 months. It'll ply from Delhi to Varanasi. It is an example that it's possible to make world-class trains under Make in India. pic.twitter.com/YOO3Mzt84O
— ANI (@ANI) January 27, 2019
सीसीआरएस ने दे दिया है सेफ्टी सर्टिफिकेट
देश में मेक इन इंडिया के तहत बनाई गई T-18 यानी वंदे भारत एक्सप्रेस 18 महीनों की अवधि के दौरान चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बनाई गई है. इस ट्रेन के सभी स्पीड डायल हो चुके हैं. इस ट्रेन को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर दिल्ली से आगरा के बीच में सीसीआरएस की मौजूदगी में चला कर देखा गया था. उसके बाद 25 जनवरी को इस ट्रेन को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर चलाने के लिए सीसीआरएस ने सेफ्टी सर्टिफिकेट दे दिया है.
खास सुविधाओं से लैस है ट्रेन
16 डिब्बों की यह ट्रेन एरो डायनामिक्स के हिसाब से डिजाइन की गई है. इसमें शीशे की बड़ी-बड़ी खिड़कियां है. पूरी की पूरी ट्रेन ऑटोमेटिक दरवाजों से सुसज्जित है. इस ट्रेन में दिव्यांगों के लिए खास तरीके के टॉयलेट हैं. इस ट्रेन में बाकी ट्रेनों की तरह अलग से इंजन नहीं लगाया जाता है, बल्कि हर डिब्बे के नीचे मोटर लगी हुई है, जिससे ट्रेन चलाई जाती है. ट्रेन के दोनों हिस्सों पर ड्राइवर केबिन है. लिहाजा इस ट्रेन को बार-बार शंटिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस ट्रेन के अंदर सिर्फ और सिर्फ सीटिंग अरेंजमेंट है. इसके अंदर की कुर्सियां खास तरीके से डिजाइन की गई है, जिससे इनको जिस डायरेक्शन में ट्रेन जा रही होती है उस डायरेक्शन की तरफ मोड़ा जा सकता है. पूरी ट्रेन में एलईडी लाइटिंग है और अंदर के साथ साथ ट्रेन को बाहर से भी खूबसूरत लुक दिया गया है.