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सीएम योगी के दो बच्चों वाले कानून को और भी होना चाहिए सख्त- नरसिंहानन्द सरस्वती

महंत स्वामी यति नरसिंहानन्द सरस्वती काशी विश्वनाथ के दर्शन करने वाराणसी पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि दो बच्चों के योगी सरकार के कानून का स्वागत है, लेकिन कानून इससे भी हजार गुना और सख्त होना चाहिए

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 स्वामी यति नरसिंहानन्द सरस्वती. (फाइल फोटो)
स्वामी यति नरसिंहानन्द सरस्वती. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विकास धर्म की कीमत पर नहीं हो सकता- महंत नरसिंहानन्द
  • दो बच्चों वाला कानून और सख्त हो- महंत नरसिंहानन्द

अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले गाजियाबाद के डासना मंदिर के महंत स्वामी यति नरसिंहानन्द सरस्वती काशी विश्वनाथ के दर्शन करने वाराणसी पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि दो बच्चों के योगी सरकार के कानून का स्वागत है, लेकिन कानून इससे भी हजार गुना और सख्त होना चाहिए. इसकी शुरुआत होना अच्छा है, जब योगी जी को लगेगा कि इस कानून से काम नहीं हुआ तो और कठोर कानून बनाएंगे.

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 इसके अलावा उन्होंने कहा कि पश्चिम यूपी के डासना में एक समुदाय विशेष ने जीना मुश्किल कर दिया है. हम वहां मरने वाले है, क्योंकि एक विशेष समुदाय के लोग बेटियों को उठा रहें हैं. बेटों के कत्ल हो रहें हैं. मेरठ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बिजनौर जिलों में हालात इतने ज्यादा खराब हो गए हैं कि उसे बताने के लिए काशी के धर्माचार्यों के बीच अपनी फरियाद लेकर आए हैं. लव जिहाद को लेकर हमारी बेटियां जहां हम रहते हैं वहां मारी जा रही हैं और पुलिस-प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है. इसमें योगी जी की गलती नहीं है. सरकार इसपर कानून जल्द लाए, हम कानून का स्वागत करेंगे.

अयोध्या में जमीन खरीद-फरोख्त में हुए गड़बड़झाले के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते अयोध्या जाने पर वस्तुस्थिति पता चलने पर जैसे बोलता हूँ वैसे ही बोलूंगा. अयोध्या मामले में बड़े-बड़े लोग शामिल हैं. बगैर ठोस जानकारी के कुछ भी कहना संभव नहीं है. इसलिए पहले असलियत का पता लगाया जायेगा. 

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उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में विकास के नाम पर विध्वंस हुआ है. काशी तंत्र के आधार पर विकसित हुई है और महादेव की नगरी है. स्थापित एक-एक विग्रह का अर्थ था जो हजारों साल पुराने थें. विग्रह हटाने के बजाए संरक्षित करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि विकास धर्म की कीमत पर नहीं हो सकता. जो हो रहा है पीड़ादायक है. काशी की जीवित जनता को इसका विरोध करना चाहिए था. जहां मंदिर था वहां जूते-चप्पल रखे जा रहें हैं. इमारतों के निर्माण के लिए भारत की तकनीक और इंजीनियर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. बहुत अच्छा कार्य हो सकता था.

 

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