कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी के मुद्दे पर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है. ‘आत्मनिर्भर यूपी रोजगार अभियान’ को लेकर शनिवार को प्रियंका गांधी ने कहा कि कल यूपी में रोजगार के एक इवेंट की खूब ढोल पीटकर शुरुआत हुई. इस इवेंट में रोजगार की जिन भी श्रेणियों की बात की गई, उनकी ज्यादातर हालत पतली है.
कांग्रेस नेता ने फेसबुक पोस्ट कर कहा, 'स्वरोजगार वाले लोग सरकार से सीधे आर्थिक मदद के अभाव में जबरदस्त संकट में हैं. छोटे और मझोले क्षेत्र के उद्योगों की हालत तो इतनी पतली है कि एक अनुमान के अनुसार 62 फीसदी एमएसएमई नौकरियों में कटौती और 78 फीसदी तनख्वाहों में कटौती करेंगे. यूपी में देखें तो चिकन उद्योग, वुडवर्क, पीतल उद्योग, पावरलूम सेक्टर और दरी उद्योग की हालत पतली है.'
बुंदलेखंड का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि अभी हाल ही में बुंदेलखंड में बाहर से आए प्रवासी मजदूरों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं हमारे सामने हैं. कानपुर में आर्थिक तंगी व रोजगार न होने की वजह से आत्महत्या की दुखद घटनाएं सामने आ चुकी हैं. ऐसे में यूपी सरकार क्या ढंकने का प्रयास कर रही है? प्रियंका गांधी ने सरकार से सवाल किया कि क्या केवल प्रचार से रोजगार मिलेगा?
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प्रियंका गांधी ने पूछा कि इन रोजगारों के ठोस आंकड़ें सरकार के किस पोर्टल पर मौजूद हैं? लास्ट टाइम विधानसभा में रखे गए आकंड़ों के अनुसार यूपी में एक साल के अंदर लगभग 12 लाख रजिस्टर्ड बेरोजगार बढ़ गए थे? आखिर सच्चाई क्या है?
बनारस के सिल्क कारोबार पर क्या बोलीं प्रियंका गांधी?
इसके अलावा कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने बनारस में सिल्क कारोबार पर संकट के मुद्दों को भी उठाया. उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा, 'सवा करोड़ रोजगार का सच.....बनारस में लगभग 2000 करोड़ रुपये का सिल्क का कारोबार है. कोरोना संकट के पहले से ही कराह रहे सिल्क उद्योग में एक लाख अकुशल मजदूरों की छंटनी हो चुकी है. वेतन में 10% से लेकर 50% तक की कटौती की गई है. सिल्क कारोबारियों का कहना है कि उनके पास मजदूरों की कमी नहीं पर आर्डर ही नहीं.
कांग्रेस महासचिव ने कहा- कालीन उद्योग पर संकट, रोजगार छिना
प्रियंका गांधी ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि भदोही के कालीन उद्योग में निर्यात आर्डर शून्य पर हैं. यहां से लगभग 1200 करोड़ रुपये का कालीन निर्यात होता था और 99 फीसदी माल विदेश जाता है. यहां कुशल बुनकर के अलावा दो लाख अकुशल मजदूर काम करते थे, मगर अब बताया जा रहा है कि मात्र 25 से 30 हजार ही काम कर रहे हैं. देश की सबसे बड़ी आगरा की दो बड़ी जूता मंडी बिजलीघर व हींग मंडी में सन्नाटा है. अकेले आगरा में तीन लाख जूते के दस्तकार घरों में बैठे हैं. कोई काम नहीं है. पर्यटन उद्योग की भी यही दास्तां है.
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