बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (UPSIDC)की ट्रांस गंगा सिटी परियोजना के तहत शंकरपुर में किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी. इसे लेकर शनिवार और रविवार को यहां पर जमकर बवाल हुआ था.
आंदोलन के पहले दिन, शनिवार को किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी. किसानों की ओर से किए गए पथराव में एएसपी और डीएसपी सहित सात पुलिसकर्मी घायल हो गए थे, जबकि कई किसानों को चोट आई थी. किसानों पर पुलिस ने बेहरमी से लाठियां चलाई थी. हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था और आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े थे. इस वक्त में गांव में तनाव बना हुआ है, हालात पर काबू पाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल लगाया गया है.
क्या है विवाद की वजह
प्रशासन के मुताबिक साल 2001 में किसानों को इस जमीन के एवज में 1.5 लाख रुपये मुआवजा दिया गया था. फिर साल 2007 में करीब पांच लाख रुपये बढ़ा हुआ मुआवजा दिया गया. इसके बाद साल 2012 में एक्सग्रेसिया के तौर पर किसानों को लगभग सात लाख रुपये प्रति बीघा दिया गया.
शर्तों के मुताबिक किसानों को जमीन के एवज में 6 प्रतिशत जमीन विकसित इलाके में दी जानी थी लेकिन उस पर अभी काम चल रहा है. बता दें कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में उपनगर बसाने के लिए UPSIDC ने ये जमीन ली है. इसी विकसित जमीन पर 6 प्रतिशत जमीन किसानों को दी जानी थी.
2045 किसानों की ली गई जमीन
इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 2045 किसानों की जमीन को प्रशासन ने लिया है. इनमें से कुल 1925 किसानों को मुआवजा दिया जा चुका है. 134 किसानों का मुआवजा बचा है. इन जमीनों को मुआवजा अबतक इसलिए नहीं मिल पाया है क्योंकि इनकी जमीनों के मालिकाना हक को लेकर विवाद था.
हंगामे को लेकर 2 केस दर्ज
शनिवार-रविवार को यहां हुए हंगामे के मामले में 2 केस दर्ज किए गए हैं. पहला मामला यूपीएसआईडीसी की तरफ से दर्ज कराया गया है जिसमें किसानों के ऊपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने उनपर हमला किया और एक जेसीबी तोड दी. इसमें दो लोग घायल भी हुए थे. दूसरा मामला पुलिस की तरफ से दर्ज कराया गया है जिसमें किसानों पर मारपीट का आरोप है.
यहां हैरानी की बात ये है कि किसानों की पिटाई के मामले मे अबतक कोई मुकदमा दर्ज नही हुआ है. एडीएम राकेश कुमार सिंह के मुताबिक आंतरिक जांच चल रही है.