जिस सोने की खोज की खबर से पूरे देश में खलबली मची है, जिस खजाने की खोज में भारत सरकार की एजेंसिया लगी हैं, आज उसी खजाने की बात को खारिज कर दिया गया. खारिज करने वाले कोई और नहीं, खुद खुदाई कर रही संस्था है.
अब बड़ा सवाल उठ खडा़ हुआ है कि जब खजाना ही नहीं, तो खुदाई क्यों? क्या इस खुदाई का कोई भी वैज्ञानिक आधार है या यह सिर्फ एक तमाशा है?
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'भूल जाइए सोना...'
डौंडिया खेड़ा गांव में खुदाई कर रही संस्था आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (ASI) के खुदाई निदेशक सैयद जमाल हसन ने यह खारिज कर दिया है कि कोई सोने का खजाना मिलने वाला है. जिस खजाने का सपना केंद्रीय मंत्री चरण दास महंत ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बताया था, वो खुदाई से पहले ही गलत बता दिया गया है. साधु शोभन सरकार ने जो सपना देखा, उस सपने को भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने पहले ही खारिज कर दिया.
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आखिर क्यों हो रही है खुदाई?
सवाल उठता है कि अगर जमीन के नीचे खजाना नहीं है, तो खुदाई हो क्यों रही है? इसका जवाब है जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (GSI), यानी जमीन के नीचे की जांच करने वाली भारत सरकार की संस्था की रिपोर्ट. बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में किसी धातु जैसी चीज के होने की संभावना है. यह कुछ भी हो सकता है. साथ ही यह हजार टन ही होगा, यह भी कतई जरूरी नहीं है.
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जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की वह रिपोर्ट जनता से सामने नहीं आई है, इसलिए किसी को नहीं पता कि रिपोर्ट में लिखा क्या है. वैसे आम तौर पर खनिजों की खुदाई के लिए जीएसआई अपनी रिपोर्ट देती है. अगर साल 2012 की जीएसआई की रिपोर्ट देखें, तो उत्तर प्रदेश में उन्नाव के आसपास कोई भी ऐसी जगह नहीं है, जहां सोने जैसी कोई चीज जमीन के नीचे दिखी हो. फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि सौ, दो सौ टन नहीं, बल्कि एक हजार टन सोना जीएसआई की नजर से बच गया हो? तो क्या सोने की खुदाई सिर्फ एक खयाली पुलाव है या वाकई वहां खजाना भी निकल सकता है?
पूरी खुदाई में लगेंगे महीनों
उन्नाव में राजा के खंडहर हो चले महल में खुदाई जारी है. एक हजार टन सोने की बात सुनकर लोग दूर-दूर से पहुंचने लगे हैं. भीड़ को काबू में करने के लिए पीएसी के जवान लगाए गए हैं. लेकिन जिस रफ्तार से खुदाई हो रही है, इस काम में महीनों का वक्त लगेगा. राजा राव रामबख्श सिंह के महल में फावड़े लिए मजदूर पहुंचने लगे. अफसरों की निगरानी में महल में खुदाई का काम जारी है.
यह सब कुछ हो रहा है एक सपने के लिए. सपना शोभन सरकार नाम के एक संत का है, जिनका दावा है कि इस महल की खुदाई से एक हजार टन सोना निकलेगा. लेकिन महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी इस सपने को खारिज कर रहे हैं.
हद तो यह है कि जिस एएसआई अफसर की अगुवाई में खुदाई की जा रही है, उन्होंने खुदाई के दूसरे दिन ही सोना के सपने को खारिज कर दिया.
हजार टन सोना लेने निकली एएसआई टीम ने संत के सपने पर पानी फेर दिया है. खुद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम अब कहने लगी है कि वह यहां सोना नहीं, संस्कृति की तलाश में पहुंची है.
साधु के सपने और इससे जुड़े तथ्यों पर डालिए एक नजर:
-दरअसल, यह सपना एक संत शोभन सरकार ने देखा था, जो उन्नाव में नहीं, बल्कि कानपुर देहात में अपने आश्रम में रहते हैं.
-22 सितंबर, 2013 को पहली बार केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री चरणदास महंत से शोभन सरकार की पहली बार मुलाकात हुई थी.
-चरणदास को शोभन सरकार ने अपने यहां विकसित की गई सिंचाई परियोजना देखने के लिए बुलाया था.
-इसी मुलाकात में शोभन सरकार ने मंत्रीजी को सोना और महल का सपना सुना डाला.
-चरणदास महंत ने वहां से लौटने के बाद प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी.
-प्रधानमंत्री ने संस्कृति मंत्रालय को चिट्टी भेजी और फिर संस्कृति मंत्रालय ने एएसआई को. इसके बाद उन्नाव के डोंडिया खेड़ा में खुदाई शुरू हो गई.
-शोभन सरकार के सपने में आए राजा राव रामबख्श सिंह को 1858 में अंग्रेजों ने बगावत के लिए फांसी पर चढ़ा दिया था. लेकिन उनकी सांस सोने में ही अटकी रह गई.
-एएसआई का कहना है कि इस महल के नीचे किसी ठोस धातु होने के संकेत जरूर मिले हैं. वह धातु कुछ भी हो सकता है, लोहा भी, तांबा भी, लेकिन सपने का सच होना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.