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उन्नाव लोकसभा सीटः कौन-कौन है उम्मीदवार, किसके बीच होगी कड़ी टक्कर

उन्नाव लोकसभा सीट पर इस बार 9 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान सांसद स्वामी साक्षी महाराज का समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला और कांग्रेस के अन्नू टंडन के बीच है. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने सतीश कुमार शुक्ला को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट पर महज एक उम्मीदवार बतौर निर्दलीय चुनाव में किस्मत आजमा रहा है.

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बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर से चुनावी मैदान में साक्षी महाराज (फाइल-रॉयटर्स)
बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर से चुनावी मैदान में साक्षी महाराज (फाइल-रॉयटर्स)

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और औद्योगिक नगरी कानपुर से सटे उन्नाव लोकसभा सीट की अपनी ही राजनीतिक खासियत है. कानपुर शहर से लगे होने के नाते उन्नाव चमड़े के कारोबार के लिए दुनियाभर में मशहूर है. एक समय यह क्षेत्र कांग्रेस का मजबूत दुर्ग हुआ करता था, लेकिन 90 के दशक के शुरुआत में बीजेपी न सिर्फ इस क्षेत्र में बल्कि पूरे राज्य में अपनी जगह मजबूत करती चली गई. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) साक्षी महाराज को उतारकर यहां से कमल खिलाने में कामयाब रही थी.

उन्नाव लोकसभा सीट पर इस बार 9 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के निवर्तमान सांसद स्वामी साक्षी महाराज का समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला और कांग्रेस के अन्नू टंडन के बीच है. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने सतीश कुमार शुक्ला को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट पर महज एक उम्मीदवार बतौर निर्दलीय चुनाव में किस्मत आजमा रहा है.

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उन्नाव संसदीय सीट के संसदीय इतिहास की बात करें तो आजादी के बाद से अब तक 16 बार लोकसभा चुनाव और एक बार उपचुनाव हुए हैं. इनमें से 9 बार कांग्रेस चुनाव जीतने में सफल रही तो चार बार बीजेपी को जीत मिली. सपा, बसपा और जनता पार्टी एक-एक बार जीतने में कामयाब रहीं.

कांग्रेस के नाम लगातार 6 जीत

उन्नाव लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस के विश्वंभर दयाल त्रिपाठी जीतने में सफल रहे थे. कांग्रेस 1971 तक लगातार 6 बार जीतने के बाद 1977 में जनता पार्टी के हाथों मात खा गई. जनता पार्टी के राघवेंद्र सिंह जीतकर संसद पहुंचे. हालांकि 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की और 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में भी यह सीट अपने नाम करने में कामयाब रही.

हालांकि 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल ने अनवर अहमद को उतारकर कांग्रेस से यह सीट छीन ली. 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन जब अपने उफान पर था तो बीजेपी ने 1991 में पहली बार इस सीट पर खाता खोला और देवीबक्श सिंह सांसद बने. देवीबक्श ने इसके बाद 1996 और 1998 में भी चुनाव जीत कर जीत की हैट्रिक लगा दी.

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1999 के लोकसभा चुनाव में सपा ने दीपक कुमार को उतारकर बीजेपी के विजय रथ को रोका तो 2004 में बसपा ने बृजेश पाठक को उतारा वो जीतने में कामयाब हो गए. इसके बाद कांग्रेस ने 2009 में अनु टंडन के जरिए एक बार फिर वापसी की, लेकिन 2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने साक्षी महाराज को उतारकर जीत अपने नाम की.

2014 का जनादेश

उन्नाव लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 31,08,367 है जिसमें 82.9 फीसदी ग्रामीण और 17.1 फीसदी आबादी शहरी है. इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी 30.52 फीसदी है. उन्नाव लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा सीटें मोहान, उन्नाव, बांगरमऊ, सफीपुर, भगवंतनगर और पुरवा विधानसभा सीटें आती हैं. सफीपुर और मोहान सीट विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

2014 के लोकसभा चुनाव में उन्नाव संसदीय सीट पर 55.52 फीसदी मतदान हुए थे. बीजेपी उम्मीदवार साक्षी महाराज ने सपा के अरुण शुक्ला को करीब 3 लाख मतों से मात देकर जीत हासिल की थी. साक्षी को 5,18,834 वोट और अरुण शुक्ला को 2,08,661 वोट मिले थे जबकि चौथे स्थान पर रहने वाले बसपा के बृजेश पाठक को 2,00,176 वोट मिले.

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