उन्नाव रेप केस में पीड़िता के साथ हुए एक्सीडेंट को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार घिरती जा रही है. इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि बलात्कार पीड़िता के साथ सड़क दुर्घटना का हादसा चौंकाने वाला है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, 'इस केस में चल रही सीबीआई जांच कहां तक पहुंची? आरोपी विधायक अभी तक भाजपा में क्यों हैं? पीड़िता और गवाहों की सुरक्षा में ढिलाई क्यों? इन सवालों के जवाब बिना क्या बीजेपी सरकार से न्याय की कोई उम्मीद की जा सकती है?'
#Unnao बलात्कार पीड़िता के साथ सड़कदुर्घटना का हादसा चौंकाने वाला है।
इस केस में चल रही CBI जाँच कहाँ तक पहुँची? आरोपी विधायक अभी तक भाजपा में क्यों हैं? पीड़िता और गवाहों की सुरक्षा में ढिलाई क्यों?
इन सवालों के जवाब बिना क्या भाजपा सरकार से न्याय की कोई उम्मीद की जा सकती है?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 29, 2019Advertisement
दूसरी ओर, यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा है कि अगर उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता चाहती है तो उनकी सरकार राय बरेली मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए तैयार है. दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी और पीड़िता और उसके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुई सड़क दुर्घटना की सीबीआई जांच की मांग की है. अखिलेश यादव का कहना है कि पीड़िता को सुरक्षा प्रदान की गई है लेकिन दुर्घटना के दौरान उनके साथ एक भी सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था. उन्होंने कहा कि यह दुर्घटना बस एक दुर्घटना थी या फिर पीड़िता के परिवार को खत्म करने की साजिश थी, इसकी सीबीआई जांच जरूर होनी चाहिए. वहीं कांग्रेस ने भी इस दुर्घटना की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.
AAP MP Sanjay Singh has given Notice on Suspension of Business in Rajya Sabha under rule 267 over Unnao rape victim's accident. pic.twitter.com/tCEAkbI9ff
— ANI (@ANI) July 29, 2019
राज्यसभा सदस्य और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने इस मामले में राज्यसभा के सभापति को एक पत्र लिखा है और कहा है कि उन्नाव रेप पीड़िता को ट्रक दुर्घटना में जान से मारने की कोशिश की गई. यह मामला बीजेपी विधायक से जुड़ा है. सीबीआई इसकी जांच कर रही है, लिहाजा कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं. संजय सिंह ने सभापति को ताकीद करते हुए इस मामले में नियम 267 के तहत संसद में चर्चा करने की मांग की है.