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पहली बार महामंडलेश्वर बनेगा ये दलित संत, अखाड़ा परिषद का फैसला

उज्जैन कुंभ के दौरान 22 अप्रैल 2016 को उन्हें  गोसाई साधु की दीक्षा जगद्गुरु पंचानंद गिरी जी महाराज ने दी थी. गोसाई साधु की दीक्षा के बाद उन्हें नया नाम कन्हैया प्रभु नंद गिरि मिला.

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कन्हैया प्रभु नंद गिरी
कन्हैया प्रभु नंद गिरी

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने दलित समुदाय से संन्यास लेकर संत बने कन्हैया प्रभु नंद गिरी को महामंडलेश्वर बनाने का फैसला लिया है. अगले साल 2019 में प्रयाग में लगने वाले कुंभ के दौरान उन्हें महामंडलेश्वर बनाया जाएगा. सनातन धर्म में पहली बार किसी दलित साधु को महामंडलेश्वर बनाने का निर्णय किया गया है.  

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की बरौली दिवाकर पट्टी लक्ष्मणपुर गांव के रहने वाले कन्हैया कुमार कश्यप चंडीगढ़ से ज्योतिष शास्त्र में शिक्षा हासिल करने के बाद सांसारिक दुनिया को अलविदा कहकर सामाजिक कार्य में लग गए. उनकी पूजा-पाठ और अध्यात्म के प्रति रुचि शुरु से रही, जिसके चलते वे धर्म गुरू बने. देश के कोने-कोने में जाकर समाज के हर वर्ग को धर्म का संदेश देने में जुट गए.

अखाड़ा परिषद के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब किसी दलित समुदाय से आने वाले संत को महामंडलेश्वर की पदवी दी जाएगी. हालांकि इससे पहले आदिवासी समुदाय के कुछ संतों को महामंडलेश्वर बनाया जा चुका है.

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उज्जैन कुंभ के दौरान 22 अप्रैल 2016 को उन्हें  गोसाई साधु की दीक्षा जगद्गुरु पंचानंद गिरी जी महाराज ने दी थी. गोसाई साधु की दीक्षा के बाद उन्हें नया नाम कन्हैया प्रभु नंद गिरि मिला.

कन्हैया प्रभु नंद गिरि पंजाब में रहते हैं और उनके शिष्यों की संख्या भी काफी अधिक है. सोमवार को इलाहाबाद पहुंचने पर उन्हें जूना अखाड़ा में शामिल कर लिया गया. 2019 में प्रयाग में लगने वाले कुंभ में उन्हें महामंडलेश्वर बनाए जाने का भी फैसला किया है.  

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