पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, एमएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद आरोपी सुरेश कुमार उर्फ एसके सिंह यूपीएससी की तैयारी कर रहा था. मामला थाना एलाऊ इलाके के भांवत गांव से जुड़ा है. यहां के रहने वाले प्रभुदयाल दिल्ली के द्वारका में रहकर ठेकेदारी का काम करते हैं. फर्जी अधिकारी से प्रभु दयाल की मुलाकात हरियाणा के बहादुरपुर में हुई थी. उस समय एसके सिंह ने खुद को पीसीएस अधिकारी बताकर सिटी मजिस्ट्रेट बताया था.
प्रभुदयाल ने अनुसार, दिसंबर 2014 में एसके सिंह ने बताया कि वह यूपी कैडर का आईएएस अधिकारी बन गया है और बांदा जनपद में पदस्थ है. दिलचस्प यह है कि बांदा जनपद में तैनात असली डीएम का नाम भी सुरेश कुमार ही है. आरोप है कि नाम का फायदा उठाकर फर्जी डीएम सुरेश कुमार ने जनवरी महीने में प्रभु दयाल को फोन पर बताया कि उनके यहां दो चपरासी के पद रिक्त हैं और वह नौकरी लगवा सकते हैं. इसके लिए आरोपी ने दो लाख रुपये प्रति पद के हिसाब से पैसे मांगे. प्रभु दयाल ने दो लाख रुपये फर्जी अधिकारी के खाते में डाल भी दिए. फरवरी में फर्जी अधिकारी ने एक बार फिर फोन कर एक और रिक्त पद की बात की, जिसके एवज में 50 हजार रुपये और खाते के जमा किया गया.
मिलने गए तो खुला भेद
बताया जाता है कि इस बीच प्रभुदयाल सुरेश कुमार से मिलने बांदा पहुंचे, लेकिन डीएम ऑफिस पहुंचते ही सारा भेद खुल गया. असलियत की समझ होते ही प्रभुदयाल ने फर्जी डीएम को फोन किया, जिसपर उसने कहा कि वह अभी छुट्टी पर है.
फंसाने के लिए बिछाया जाल
प्रभुदयाल के मुताबिक, फर्जी डीएम को फांसने और पुलिस के हवाले करने के लिए उन्होंने एसके सिंह को बताया कि वह अपने गांव मैनपुरी के भांवत आए हुए हैं और यहां कुछ रुपये इक्ट्ठा हो गए हैं. पैसे की लालच में फर्जी डीएम एसके सिंह गांव पहुंचा, जिसे पकड़कर प्रभुदयाल ने उसे पुलिस को सौंप दिया.
पकड़े गए फर्जी डीएम ने पूछताछ में बताया कि वह जौनपुर का रहने वाला बताया है. पुलिस को आशंका है कि उससे कई और लोग भी जुड़े हो सकते हैं. पुलिस संबंधित अन्य ठगी के मामलों की भी पूछताछ कर रही है.
मैनपुरी के एसपी श्रीकान्त सिंह यादव ने बताया कि जौनपुर का सुरेश कुमार फर्जी डीएम बनकर लोगों से नौकरी लगवाने के नाम पर पैसा वसूल रहा था. कई लोगों से ये पैसा ले भी चुका था, इस बाबत मुकदमा दर्ज किया गया है.