लखीमपुर खीरी की घटना से कांग्रेस को संजीवनी मिल गई है. इस संजीवनी को बरकरार रखने के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी अब पूरे नवरात्र यूपी में ही डेरा जमाए रखेंगी. इस दौरान पार्टी संगठन में जान डालने, योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखने की रणनीति है, जिससे कांग्रेस को कमजोर समझ रही समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को अपनी सियासी ताकत से वाकिफ कराया जा सके. कांग्रेस के लिए बार्गेनिंग पोजिशन बढ़ाई जा सके.
सूबे के सियासी सीन में तीन दशक से बाहर चल रही कांग्रेस में जान डालने के लिए प्रियंका गांधी हरसंभव कोशिश कर रही हैं. किसानों की मौत को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ मोर्चा खोलने के साथ ही सीएम योगी के झाड़ू लगाने वाली टिप्पणी के बाद लखनऊ की दलित बस्ती में खुद झाड़ू लगाना हो, प्रियंका गांधी ने साफ संकेत दे दिए हैं कि वो अब आर-पार के मूड में हैं.
नवरात्र के दौरान प्रियंका गांधी कांग्रेस नेताओं के साथ चुनावी रणनीति पर चर्चा करेंगी तो साथ ही कार्यकर्ताओं के साथ भी मंथन करेंगी. काशी से चुनावी अभियान का आगाज भी प्रियंका गांधी को करना है. इस दौरान दूसरे दलों के कई नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने की भी चर्चा है. लखीमपुर खीरी में किसानों की आवाज बुलंद कर प्रियंका गांधी ने कांग्रेस को संजीवनी दे दी है. इस दौरान प्रियंका गांधी के हिरासत में रहते हुए सूबे भर में जिस तरह से कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर उतरे, उसके भी संकेत साफ हैं.
प्रियंका गांधी ने खुद एक दलित बस्ती में पहुंचकर सफाई कर्मियों के साथ झाड़ू लगाकर सीएम योगी को जवाब दिया ही, दलितों को भी संदेश दे दिया कि बीजेपी दलित विरोधी है. वो अब पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से कांग्रेस के चुनाव अभियान का आगाज करने जा रही हैं.
प्रियंका की योजना वाराणसी के जरिए पूर्वांचल को साधने की है. प्रियंका गांधी के वाराणसी में होने वाले कार्यक्रम में कांग्रेस भीड़ जुटाकर सपा-बसपा को अपनी ताकत का एहसास भी कराना चाहती है. कांग्रेस की नजर बुनकर समाज के वोट पर भी है. बुनकरों के साथ लखनऊ में पिछले दिनों प्रियंका ने मुलाकात भी की थी और उनके मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करने का वादा भी किया था. बनारस से लेकर मऊ, गाजीपुर और आजमगढ़ को बुनकरों का गढ़ माना जाता है.
प्रियंका की सक्रियता ने बढ़ाई सपा-बसपा की बेचैनी
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को उस स्थिति में पहुंचा देना चाहती हैं, जहां से बैठकर वह अन्य दलों के साथ सीटों के बंटवारे पर बात कर सकें, अपना दावा मजबूत कर सकें. बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सपा-बसपा ने 'दूध की मक्खी' की तरह निकाल फेंका था.
प्रियंका नहीं चाहतीं कि ये इतिहास 2022 के विधानसभा चुनाव में भी दोहराया जाए. हालांकि, सपा और बसपा अभी तक कांग्रेस के साथ गठबंधन को तैयार नहीं हैं. अखिलेश यादव साफ कह चुके हैं कि यूपी में बड़े दलों के साथ गठबंधन नहीं करेंगे जबकि बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है. ऐसे में प्रियंका गांधी की बढ़ी सक्रियता ने सपा और बसपा की बेचैनी बढ़ा दी है.
साल 2022 की चुनावी फाइट से बाहर नजर आ रही कांग्रेस को प्रियंका गांधी की सक्रियता ने ठीकठाक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है. कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता जोश में नजर आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस जिस तरह से योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है, उससे साफ संदेश जा रहा है और कांग्रेस का सियासी ग्राफ भी बढ़ता दिख रहा है. कांग्रेस के तमाम बड़े नेता भी गठबंधन के लिए तैयार दिख रहे हैं. इमरान मसूद से लेकर तमाम कांग्रेसी खुलकर गठबंधन की बात कह रहे हैं. इसलिए प्रियंका गांधी पार्टी को ऐसी स्थिति में खड़ी करना चाहती हैं ताकि विपक्षी दलों के साथ बैठकर गठबंधन का जाल बुना जा सके.