आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में अगले साल मार्च यानी कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 75 में से 67 सीटों पर विजय पताका लहरा दी है. जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में मिली इस बंपर जीत ने सत्ताधारी खेमे में उत्साह का संचार कर दिया है.
विधानसभा चुनाव करीब देख सत्ताधारी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने सूबे की जिला पंचायतों पर काबिज होने के लिए साम, दाम, दंड, भेद के सारे पैतरे अपनाए और 65 प्लस का लक्ष्य भी हासिल किया. बीजेपी ने यूपी में सपा के दुर्ग माने जाने वाले जिलों में ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के मजबूत किले माने जाने वाले रायबरेली में भी सेंध लगाने में कामयाबी पाई. 2022 के चुनाव से पहले विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) महज 5 जिलों में जीत प्राप्त कर सकी.
बीजेपी के 21 जिला पंचायत अध्यक्ष प्रत्याशी चुनाव से पहले ही निर्विरोध चुन लिए गए थे तो विपक्ष की भूमिका निभाने वाली सपा को महज एक सीट पर इटावा में जीत मिली थी. इटावा से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभिषेक यादव निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं. शनिवार यानी 3 जुलाई को सूबे की 53 जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर चुनाव हुए थे जिनमें सपा और बीजेपी के बीच कड़े मुकाबले की उम्मीद लगाई जा रही थी. ऐसा इसलिए भी, क्योंकि पंचायत चुनाव में बीजेपी सूबे के किसी भी जिले में अपने दम पर बहुमत के आंकड़े के आसपास नहीं पहुंच सकी थी.
पूर्व से पश्चिम तक बीजेपी का कब्जा
आंकड़ों के लिहाज से करीबी लड़ाई नजर आ रही थी, इसके बावजूद बीजेपी ने पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी यूपी, रुहेलखंड और बुंदेलखंड के जिलों में अपना परचम लहराते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया है. बीजेपी की इस बंपर जीत के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. यूपी के संत कबीरनगर, एटा, आजमगढ़, बागपत, बलिया, जौनपुर, प्रतापगढ़ जिले को छोड़ दें तो बाकी के जिलों में बीजेपी अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में कामयाब रही है. शनिवार को जिन 53 जिलों में चुनाव हुए, उनमें से 44 जिलों में बीजेपी को जीत मिली है.
पांच सीट पर सिमटी सपा
वहीं, अगर निर्विरोध निर्वाचित हुए बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्षों और बीजेपी समर्थित निर्दलीय जीते उम्मीदवारों को भी जोड़ लें तो पार्टी ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं, प्रमुख विपक्षी दल सपा के खाते में मात्र पांच सीटें आई हैं. आरएलडी को केवल एक सीट, बागपत में जीत से संतोष करना पड़ा. जौनपुर से निर्दलीय प्रत्याशी बाहुबली नेता धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह ने बाजी मारी जबकि प्रतापगढ़ से बाहुबली नेता राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल जनतांत्रिक की माधुरी पटेल जीती हैं.
सपा को अपने गढ़ में भी मिली मात
समाजवादी पार्टी को उसके गढ़ कहे जाने वाले रामपुर, मैनपुरी, कन्नौज, बदायूं, संभल, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, झांसी, फर्रुखाबाद में भी बीजेपी से शिकस्त खानी पड़ी. वहीं, कांग्रेस का किला कहे जाने वाले रायबरेली और अमेठी में भी बीजेपी ने एकतरफा जीत दर्ज की. इस चुनाव से बसपा ने खुद को बाहर कर लिया था लेकिन इसका भी फायदा विपक्षी पार्टियां नहीं उठा सकीं और बीजेपी को सत्ता में रहने का जबरदस्त फायदा हुआ.
बीजेपी के लिए 2022 की राह आसान?
कुछ ही महीनों में विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में बीजेपी को अगर समर्थित ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्ष का समर्थन प्राप्त रहेगा तो आने वाले चुनाव में बीजेपी कहीं ना कहीं इसका राजनीतिक लाभ मिलना लाजमी है. विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में बीजेपी को निर्दलीय के साथ-साथ सपा और बसपा के टिकट पर जीतकर आए उम्मीदवारों का भी काफी समर्थन मिला. वहीं, बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल (एस) को भी दो में से एक सीट पर जीत मिली है. इस तरह यूपी में विधानसभा चुनाव में लगभग सभी जिलों में गांव स्तर से लेकर जिला स्तर पर बीजेपी का बोलबाला रहेगा.
बीजेपी की जीत के सियासी मायने
यूपी में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में जिस तरीके से बीजेपी ने जीत हासिल की है, इसे महज अध्यक्ष की नहीं, पार्टी की जीत के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल, पंचायत चुनाव में बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी और उसे यूपी के किसी भी जिले में बहुमत के लायक सीटें नहीं मिली थीं. ऐसे में बीजेपी ने इस चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर लिया और खुद बीजेपी संगठन के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष, सूबे के प्रभारी राधा मोहन सिंह और आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी चुनाव से पहले यूपी दौरे पर रहे. बीजेपी ने इस चुनाव को गंभीरता से लिया.
बीएल संतोष ने यूपी के नेताओं के साथ लगातार बैठेकें कीं और साथ जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए जरूरी निर्देश भी दिए. इसके चलते जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का यह सेमीफाइनल बीजेपी के पाले में बड़ी जीत लेकर आया. यही कारण है कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने जिस तरह से जीत के लिए रणनीति का जाल बुना, उसमें विपक्ष उलझकर रह गया.
पीएम मोदी, गृह मंत्री शाह ने भी की बैठकें
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक एक्टिव मोड में नजर आए. पीएम और गृह मंत्री ने यूपी के पार्टी नेताओं के साथ ही सहयोगी दलों के नेताओं के साथ भी दिल्ली में बैठक की और सियासी माहौल को समझा. वहीं, बीएल संतोष हों, जेपी नड्डा या फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हों, इस जीत के बाद दिग्गज नेताओं ने ट्वीट कर सीएम योगी की टीम को बधाई दी. हालांकि, अब सात माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी कैसा प्रदर्शन करती है, यह देखना भी काफी दिलचस्प होगा.