पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भावनाओं को बीजेपी ने भुनाने की तैयारी शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वाजपेयी के कलश अस्थि के जरिए अपना अभियान जन-जन तक पहुंचने की रणनीति बनाई है. इसके तहत यूपी की सभी नदियों में अस्थियां विसर्जित करने के साथ-साथ कई स्मारकों और योजनाओं को उनके नाम पर रखने का प्लान प्रदेश सरकार ने बनाया है.
प्रदेशभर में अटल बिहारी वाजपेयी की 18 अस्थि कलश यात्रा निकलेगी जो सभी नदियों में अटल जी की अस्थि विसर्जन करेगी. इसके सूबे की सभी जिलों के कार्यकर्ता जुड़ेंगे. इसके तहत सूबे के 80 लोकसभा सीटों के लोगों को अस्थि कलश के अंतिम दर्शन करने का मौका मिलेगा.
ये कलश यात्रा करीब 350 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों से ये काफिला निकलेगा. इस यात्रा में प्रदेश सरकार के एक मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी के साथ ही क्षेत्र के सांसद, विधायक और जरूरत पड़ने पर केंद्रीय मंत्री भी रहेंगे.
सूत्रों के मुताबिक आगरा से चित्रकूट तक जाने वाली बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने का प्लान बनाया है. हालांकि इसका औपचारिक ऐलान अभी नहीं हुआ है लेकिन इस पर चर्चा चल रही है और जल्द ही सरकार इसकी घोषणा कर सकती है.
24 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा के बटेश्वर आएंगे जहां अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर स्मारक के साथ-साथ कई योजनाओं का नामकरण कर सकते हैं.
उत्तर प्रदेश में पहला चिकित्सा विश्वविद्यालय भी अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर होगा. अभी तक टेक्निकल विश्वविद्यालय के साथ-साथ सभी तरह के विश्वविद्यालय हैं लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार पहली बार चिकित्सा विश्वविद्यालय खोलने जा रही है जिसके संबद्ध मेडिकल कॉलेज होंगे.
ये चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ में होगा. माना जा रहा है कि जल्द ही योगी कैबिनेट में इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल जाएगी. सरकार के सूत्रों के मुताबिक लखनऊ में एक आयुष विश्वविद्यालय के साथ ही प्रदेश में कई योजनाओं को अटल का नाम देने की तैयारी है.
बटेश्वर लखनऊ बलरामपुर और आगरा में वाजपेयी के नाम पर स्मारक बनेगा. यह सभी वह जगह होंगे जहां से अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियां जुड़ी हुई हैं. लखनऊ और बलरामपुर जहां उनकी संसदीय सीट रही है. जबकि आगरा के बटेश्वर में उनका जन्म हुआ था.
बता दें कि वाजपेयी की अस्थियां उत्तर प्रदेश के जनपद आगरा में यमुना, चम्बल नदी में, इलाहाबाद में गंगा, यमुना और तम्सा, वाराणसी में गंगा, गोमती तथा वरुणा, लखनऊ में गोमती, गोरखपुर में घाघरा, राप्ती, रोहिन, कुआनो और आमी, बलरामपुर में राप्ती, कानपुर नगर में गंगा, कानपुर देहात में यमुना, अलीगढ़ में गंगा तथा करवन, कासगंज में गंगा, आम्बेडकर नगर में घाघरा तथा तम्सा में प्रवाहित की जाएंगी.
इसके अलावा अमेठी, अमरोहा, औरैया, आजमगढ़, बदायूं, बहराइच, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बिजनौर, बुलन्दशहर, चित्रकूट, देवरिया, एटा, इटावा, फैजाबाद, फर्रूखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद समेत प्रदेश के तमाम जिलों की प्रमुख नदियों में वाजपेयी की अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी.
योजनाओं का नाम बदलने की कवायद
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के नाम पर तमाम योजनाओं और सड़कों के नाम बदलने को लेकर कवायद चल रही है. उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने निर्देश दिया है कि सभी जिलों से सड़कों के नाम और भवनों के नाम समेत वह सारी डिटेल्स भेजी जाएं ताकि वाजपेयी के नाम से कुछ शुरू किया जा सके. चाहे वह सड़कों का नामकरण हो किसी बिल्डिंग का नाम हो या फिर किसी योजना का नाम हो. इस क्रम में कानपुर नगर निगम में अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते वक्त सदन में पूर्व पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े 6 प्रस्ताव पास कर दिए. अब कानपुर के बड़े चौराहों का नाम बदलकर अटल चौक किया जाएगा.