मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बुधवार को ‘मेगा अयोध्या शो’ ने साबित कर दिया है कि भगवान राम की नगरी बीजेपी सरकार के एजेंडे में सबसे पहले है. ‘मेगा अयोध्या शो’ में सरयू पूजन, महाआरती, 1.71 लाख दीयों का विश्व रिकॉर्ड बनेगा. लेकिन इस सबके बीच अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बात दब ना जाए, पार्टी के भीतर से ही ये कोशिशें भी शुरू हो चुकी हैं.
राज्यसभा सांसद विनय कटियार और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राम मंदिर निर्माण की जोरदार वकालत की है. सवाल बड़ा यही है कि ठीक ‘मेगा अयोध्या शो’ वाले दिन को ही राम मंदिर निर्माण का मुद्दा क्यों छेड़ा गया? राम मंदिर को आस्था का सवाल बताने की धुन क्यों जोर से बजने लगी?
कभी राम मंदिर आंदोलन में बढ़ चढ़कर आगे रह चुके विनय कटियार बीते कई दिनों से अयोध्या में ही डेरा डाले हुए हैं. कटियार के मुताबिक उनके लिए राम मंदिर ही सबसे पहला और जीने-मरने का मुद्दा है. कटियार का ये भी कहना है कि जहां तक कोर्ट के फैसले का सवाल है तो वो दोधारी तलवार है लेकिन राम की जन्मभूमि तो यहीं है. हमारे लिए राम जन्मभूमि से बढ़कर कोई मुद्दा नहीं.
अयोध्या में विनय कटियार राम मंदिर पर बोले तो लखनऊ में ये मोर्चा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने संभाला. उन्होंने कहा कि अब तो मुसलमान भी इस मुद्दे का समाधान देखना चाहते हैं, वे भी चाहते हैं कि राम मंदिर वहीं बने. अदालत का फैसला जब आएगा तब आएगा.
साफ है अयोध्या में दिवाली के बहाने राम मंदिर को फिर से सियासत के केंद्र में लाने की पुरजोर कोशिश है. 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं. इस आम चुनाव तक या तो मंदिर बनाने की पहल करनी होगी या मंदिर बनते दिखाने की कोशिश करनी होगी. ‘मेगा शो’ के जरिए बीजेपी ये जताने में कोई कसर नहीं छोड़ रही कि अयोध्या उसके एजेंडे में कितना ऊपर है.
हालांकि अयोध्या के पक्षकार बुधवार के इस महोत्सव को सही नहीं मानते. उनके मुताबिक इस तरह की दिवाली योगी आदित्यनाथ को मंदिर निर्माणका रास्ता साफ होने के बाद ही मनानी चाहिए थी. दूसरी तरफ मेगा शो से अयोध्या के लोग खुश नजर आ रहे हैं. उन्हें लगता है कि अयोध्या की पहचान फैजाबाद जिले से नहीं बल्कि खुद अयोध्या से होने जा रही है. पहली बार अयोध्या नगर निगम के तौर पर बना है और यहां पहला मेयर चुना जाने वाला है.
हालांकि अयोध्या में एक वर्ग ऐसा भी है जो मानता है कि अयोध्या में भव्य दिवाली मनाने का कार्यक्रम कहीं न कहीं राम मंदिर से फोकस हटाने की कोशिश है. दिंगबर अखाड़े और रामलला के पुरोहित ने ‘आज तक’ से बातचीत में कहा कि योगी सरकार दिवाली के इस जश्न को इतना भव्य बनाना चाहती है कि अयोध्या का मूल मुद्दा यानी राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का मुद्दा इसके आगे छोटा पड़ जाए. क्योंकि सरकार पर 2019 के पहले राम मंदिर बनाने का दबाव है. इसलिए ये मूल मुद्दे को दबाने की कोशिश है.
उधर, योगी सरकार का दावा है कि अयोध्या में बुधवार को होने वाले आयोजनों पर सरकार बहुत ज्यादा खर्च नहीं कर रही. इन आयोजनों का कुल खर्चा तीन करोड़ से ऊपर नहीं जाएगा. हालांकि सरकार ये जताना भी नहीं भूल रही कि 133 करोड़ की विकास परियोजनाओं से अयोध्या पर्यटन के मानचित्र पर आ जाएगा.