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अब जियो टैगिंग और बारकोडिंग से होगी छुट्टा गोवंशों की पहचान

आदेश में यह भी कहा गया है कि निराश्रित गोवंश सांड़, बैल, बछड़े, बीमार और निराश्रित गाय को चिन्हित कर उनके बारकोडिंग में तमाम जानकारी रखी जाए.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (रॉयटर्स)
प्रतीकात्मक तस्वीर (रॉयटर्स)

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योगी सरकार बेसहारा और लावारिस गायों की बारकोड टैगिंग करेगी. दो दिन पहले जारी शासनादेश में इस बात को विस्तार से बताया गया है कि छुट्टा घूम रहे ऐसे गोवंश, जिनका कोई मालिक ना हो, वैसे पशुओं की टैगिंग की जाए जिसमें बारकोड लगा हो और वह आरएफआईडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटीफिकेशन) से जुड़े हों.

सरकार चाहती है कि गोवंश की पहचान और रखरखाव में आधुनिक तकनीक खासकर इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो. बारकोड और आरएफआईडी की मदद से सभी गोवंशों की पूरी जानकारी उनके टैग में लगी हो, जिससे सरकार जब चाहे इन की विस्तृत जानकारी रख सके. यानी एक बड़ा डाटा बैंक निराश्रित और बेसहारा गोवंश का भी बने.

योगी सरकार के इस आदेश में यह भी कहा गया है कि निराश्रित और ऐसे गोवंश जिनमें सांड़, बैल, बछड़े, बीमार और निराश्रित गाय हों, को चिन्हित कर उनके बारकोडिंग में तमाम जानकारी रखी जाए. इसमें गोवंश के मालिक का नाम, पता, गोवंश का उम्र, लिंग और उसकी जानकारी उसमें रखी गई हो. सरकार ने कहा है कि शहरों में वार्ड वार इसकी गिनती और चिन्ह तय किए जाएं और गांव से लेकर तहसील तक ऐसे गोवंश की पूरी लिस्टिंग कराई जाए.

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योगी सरकार ने कहा है कि अभी यह काम भारत सरकार की वित्त पोषित योजना से हो रहा है लेकिन भविष्य में इसे रिप्लेस कर नई तकनीक से पहचान हो, साथ ही हर टैग में गाय के मालिक का फोन नंबर भी दर्ज किया जाए. योगी सरकार ने सभी कॉरपोरेट घरानों से आवारा गोवंश के लिए चारागाह, शेड बनाने और गौशालाओं के निर्माण में मदद मांगी है. सभी कॉरपोरेट्स कंपनियां अपने सीएसआर फंड से इसमें सरकार को मदद दे सकती हैं. अपने सभी विभागों को भी इसमें जोड़ते हुए सरकार ने अतिरिक्त जमीन की व्यवस्था करने को कहा है ताकि तात्कालिक तौर पर शहरों और गांवों में घूम रहे गायों के लिए व्यवस्था की जा सके.

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