उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पिछड़ों को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण में बड़ा फेरबदल करने जा रही है. माना जा रहा है कि इसका असल मकसद यूपी में सपा-बसपा गठबंधन की हवा निकालना है ताकि 2019 के चुनाव में बीजेपी 2014 जैसा प्रदर्शन दोहरा सके. हालांकि योगी के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने सरकार के इस सीक्रेट प्लान का अभी से खुलासा कर दिया है.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यखक्ष राजभर ने कहा कि सरकार के इस कदम से सपा-बसपा गठबंधन धराशायी हो जाएगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ओम प्रकाश राजभर ने बलिया के रसड़ा में कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से 6 महीने पहले सूबे में ओबीसी की 82 जातियों को तीन हिस्सों में बांटने का ब्रह्मास्त्र चलाया जाएगा.
राजभर ने बताया कि ओबीसी को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण को तीन भागों में बांटा जाएगा. पहला- पिछड़ा जिसके तहत ओबीसी की चार जातियां आएंगी. दूसरा- अति पिछड़ा, इसके तहत 19 जातियां और तीसरा- सर्वाधिक पिछड़ा इसमें 59 जातियां शामिल रहेंगी.
राजभर ने कहा कि बीजेपी की कोशिश है कि इस कदम से पिछड़ी जातियों, दलितों और मुस्लिमों के बीच गठजोड़ को तोड़ा जा सके. बीजेपी सरकार ने अपनी इस योजना को लागू किया तो ओबीसी कोटे के अंदर यादवों का वर्चस्व. संकट में पड़ जाएगा जो समाजवादी पार्टी का कोर वोट बैंक है. राजनीतिक विश्लेवषकों के मुताबिक राजभर ने अपने बयान से सपा-बसपा को मात देने की बीजेपी की रणनीति का खुलासा कर दिया है.
ओबीसी कोटे का फायदा किसे?
ओबीसी आरक्षण का सबसे ज्यादा फायदा यादव समुदाय को मिल रहा है. यही वजह है कि गैर यादव ओबीसी जाति के लोगों में नाराजगी है. बीजेपी ने इसी नाराजगी का फायदा 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में उठाया था. सपा-बसपा ने गठबंधन करके 2019 के चुनाव में उतरने का फैसला किया है. इसके तहत दलित और ओबीसी मतों को एक साथ साधने की रणनीति है.
फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा-बसपा का ये राजनीतिक प्रयोग सफल रहा है. इस गठजोड़ के दम पर ओबीसी के कुर्मी और निषाद समुदाय के मतदाताओं ने भी एकजुट होकर सपा उम्मीदवारों को वोट दिया था. ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि अभी तक ये जातियां अपना हक पाने के लिए सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ थीं लेकिन अब हम उन्हेंल उनका हक देकर अपने साथ लाएंगे.