उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में बीजेपी पूरी तैयारी के साथ उतरने जा रही है. पार्टी ने इस बार खास रणनीति बनाई है. बीजेपी की पसमांदा मुसलमानों वोट बैंक पर नजर है, इसलिए वह पहली बार किसी चुनाव में पसमांदा मुसलमानों को टिकट देगी. बीजेपी निकाय चुनाव में 1200 से ज्यादा पसमांदा मुसलमान उम्मीदवारों को अपना सिंबल देगी. इसके तहत उम्मीदवारों को जांचने का काम भी शुरू हो गया है.
वहीं पसमांदा मुसलमानों पर राजनीति शुरू करने के बाद विपक्ष बीजेपी पर हमलावर है, लेकिन बीजेपी ने रणनीति के साथ इस बार निकाय चुनाव में ना सिर्फ उन्हें टिकट देकर, बल्कि 2024 के मद्देनजर भी इस वर्ग को जोड़ने की कवायद पहले ही शुरू कर दी है. पार्टी का मानना है कि लाभार्थी वर्ग के तौर पर पसमांदा मुसलमान सीधे तौर पर पार्टी की सरकार की योजनाओं से जुड़ा है. आने वाले समय में भी इसी वर्ग की नुमाइंदगी चुनाव में देखने को मिलेगी, जिसको लेकर के कवायत तेज हो गई है.
इसलिए पसमांदा मुसलमानों पर है बीजेपी की नजर
भारतीय मुसलमानों में पसमांदा समाज बहुमत में है, लेकिन नौकरियों, विधायिकाओं और सामुदायिक संगठनों में उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है. पसमांदाओं को अशरफ अभिजात वर्ग द्वारा जानबूझकर नजरअंदाज किया जाता है, जिन्हें मुस्लिमता पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने के रूप में देखा जाता है. पसमांदा मुसलमानों की इसी स्थिति को बीजेपी अपनी पार्टी के साथ जोड़कर मुख्यधारा में लाने और मजबूत पदों पर बैठाने के काम का दावा कर रही है.
पसमांदा एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ है 'पीछे छूट जाने वाले'. इस शब्द का इस्तेमाल मुसलमानों में दलित वर्गों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिन्हें जानबूझकर सत्ता और विशेषाधिकार के फल से बाहर रखा गया है. पिछड़े, दलित और आदिवासी मुसलमान समुदाय के भीतर जाति-आधारित भेदभाव को जाहिर करने के लिए पसमांदा शब्द का उपयोग किया जाता है.
24 से ज्यादा जिलों में कराए जा रहे सम्मेलन
सूबे में पसमांदा सम्मेलन के जरिए बीजेपी की कवायद मुसलमानों के तबके को जोड़ने की है. इसको लेकर के लखनऊ समेत दो दर्जन से ज्यादा जिलों में सम्मेलन कराए जा रहे हैं. बीजेपी की कोशिश है कि पसमांदा मुसलमानों को जोड़कर उनके लाभार्थी और निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के जरिए इस समाज की नुमाइंदगी कराई जाए. इसी सोच के साथ अब इस उपेक्षित मुस्लिम वर्ग को पार्टी निकाय चुनाव में उम्मीदवारी के जरिए अपना राजनीतिक हथियार बनाने की तैयारी में है.
मुसलमानों में 80 फीसदी पसमांदा समाज से हैं
पसमांदा मुसलमानों के सम्मेलन और उन्हें टिकट देने के सवाल पर यूपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा,"यह तबका मुसलमानों का 80 फीसदी है जो हमेशा उपेक्षित रहा. बीजेपी सरकार ने उनको उनका हक दिया, हिस्सेदारी दी, पदों पर बैठाया और अब निकाय चुनाव में टिकट देकर उनकी चुनाव में भी हिस्सेदारी दी जाएगी. इस गुलदस्ते में रायनी, सैफी, अंसारी, सलमानी जैसे समाज हैं, जो सब मिलकर कमल खिलाते हैं."
विपक्ष ने मुसलमानों को वोट बैंक बनाया: बृजेश पाठक
यूपी के डिप्टी सीएम मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि योगी-मोदी सरकार में मुसलमानों की योजनाओं ने सीधा असर किया है. आज पसमांदा मुसलमान मुख्यधारा से जुड़ा है. विपक्ष के लोगों ने महज राजनीति के लिए मुसलमानों को वोट बैंक बनाया, लेकिन बीजेपी ने ही पसमांदा मुसलमानों के मुद्दों पर सबसे ज्यादा काम किया है. पार्टी की कवायत आगे भी उन्हें साथ लेकर चलने की है.
बीजेपी की साजिश में मुसलमान फंसने वाले नहीं: कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सीधे तौर पर बीजेपी के एमएलए और एमपी के ऊपर मुसलमानों को दबाने का आरोप लगाया है. सिद्दीकी ने कहा कि पहले पार्टी यह बताए कि जो नेता मुसलमानों को चुन-चुन कर मारने की बात कर रहे हैं, उस पर पार्टी ने क्या संज्ञान लिया है. ऐसे में साफ है कि ना तो पसमंदा मुसलमान और ना ही कोई और कोई मुसलमान बीजेपी की इस साजिश में फंसने वाला है.
पसमांदा मुसलमानों को बरगला रही बीजेपी: सपा
समाजवादी पार्टी ने भी बीजेपी की राजनीति पर पलटवार किया है. सपा प्रवक्ता नितेंद्र सिंह यादव ने कहा, "बीजेपी ने हमेशा बांटने वाली राजनीति की है. इस बार पसमांदा मुसलमानों को बरगला रहे हैं लेकिन मुसलमान टूटने वाला नहीं है. वे आने वाले निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी का साथ देगा." उन्होंने बीजेपी पर मुस्लिमों की आड़ में वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया.