उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की ओर से शुक्रवार को पेश किए गए दूसरे बजट को राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा बजट बताया जा रहा है, लेकिन विपक्षी दलों को यह बजट रास नहीं आया और इसे नाउम्मीदी से भरा बताया.
योगी सरकार के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने 4 लाख 28 हजार करोड़ रुपये का मेगा बजट पेश किया. यह बजट पिछले साल की तुलना में 11.4 प्रतिशत ज्यादा है. पिछले साल 3.84 लाख करोड़ का बजट पेश किया गया था.
बजट को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ तो मिली, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे खराब बजट बताया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों और ग्रामीणों को ध्यान में रखकर बजट तैयार किया गया है. वित्तीय अनुशासन को बनाए रखते हुए हमने किसानों और नौजवानों को देखते हुए बेहतर तरीके से बजट पेश किया. ये बजट अब तक का सबसे बड़ा बजट है.
जबकि समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने ट्वीट कर बजट पर निराशा जताई और इसे नाउम्मीदगी से भरा बताया. उन्होंने कहा कि बेहाल किसानों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और न ही बेरोजगारों युवाओं के लिए किसी कारगर योजना की घोषणा की गई है. उद्योग-व्यापार क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी निराशा ही हाथ लगी है.
नाउम्मीदगी से भरा है यूपी का नया बजट. न बेहाल किसानों के लिए कोई ठोस कदम, न बेरोजगार युवाओं के लिए कोई कारगर योजना. उद्योग-व्यापार के लोगों के हाथ भी बस निराशा हाथ लगी है. शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे ज़रुरी विषय भी उपेक्षित हुए हैं. कुल मिलाकर केंद्रीय बजट की तरह निराशाजनक है ये बजट.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 16, 2018
वहीं यूपी विधानसभा में सपा और विपक्ष के नेता राम गोविंद चैधरी भी बजट से खुश नहीं दिखे और उन्होंने कहा कि इस निराशाजनक बजट में 75 फीसदी योजनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर हैं. लग रहा है कि प्रदेश की योगी सरकार को केंद्र की मोदी सरकार ही चला रही है. बजट पूरी तरह से किसान, नौजवान और गरीब विरोधी है.
बसपा और कांग्रेस ने भी बजट पर निराशा जताई. दोनों ही पार्टियों की ओर से कहा गया कि बजट से वंचितों का उत्थान नहीं होगा.