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काफिले से ही हो गया साफ, माया-अखिलेश से अलग है यूपी का ये नया CM!

ताजपोशी के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपनाया 'सादगी योग'. क्या कट्टरवादी छवि बदलने की कोशिश में हैं योगी आदित्यनाथ? क्या यूपी में सार्थक बदलाव ला पाएगा योगी का अंदाज?

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गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ का काफिला
गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ का काफिला

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उत्तर-उपनिवेशवाद के इस दौर में विजेता वो है जो डिफ्रेंट है, फिर वो चाहे बाजार हो, सिनेमा या फिर सियासत. जनता के जेहन में अब तक नेता की अहमियत उसे घेरे हुए संतरियों की तादाद से तय होती थी. उसका सियासी कद साथ चलने वाले काफिले की लंबाई से मापा जाता था. लेकिन अब सादगी या कम से कम सादगी का दावा सियासतदानों के रिकॉर्ड में बतौर खासियत दर्ज होता है.

बदले-बदले से 'सरकार'
देश के सबसे बड़े राज्य का मुखिया बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के ज्ञान-चक्षु भी इस हकीकत को लेकर खुले हैं. भले ही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की तरह उन्होंने लाल बत्ती का त्याग ना किया हो, लेकिन ऐसी कई और वजहें हैं जो सियासी गलियारों में ये सुगबुगाहट पैदा कर रही हैं कि शपथ लेने के बाद यूपी के सरकार कुछ बदले बदले से हैं.

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..लेकिन सुरक्षा से समझौता नहीं
योगी का अंदाज चाहे जो हो, प्रशासन उनकी सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि गोरखपुर में मुख्यमंत्री के लिए सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किये गये हैं. पुलिस के तकरीबन 2500 जवान इस काम में लगाए गए हैं. इनमें आईपीएस रैंक के 4, एएसपी रैंक के 6 और डीएसपी रैंक के 22 अफसर शामिल हैं. पीएसी की कुल 8 कंपनियां योगी की हिफाजत में तैनात हैं. गोरखनाथ मंदिर में किसी को भी बिना तलाशी घुसने नहीं दिया जा रहा है.

आदित्यनाथ का 'सादगी योग'
ताजपोशी के बाद आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर पहुंचे तो उनके काफिले में सिर्फ 12 गाड़ियां थीं. इसके मुकाबले मायावती 18 गाड़ियों के साथ चलती थीं. 'समाजवादी' मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी सड़क पर उतरने के लिए 12 गाड़ियों की जरुरत पड़ती थी. कहा ये भी जा रहा है कि योगी 5, कालिदास मार्ग के आलीशान बंगले में बगैर एसी सोएंगे. उनके बेडरूम में सिर्फ एक लकड़ी का तख्त होगा. विदेशी स्टाइल के रसोइयों की जगह अब गोरखनाथ मंदिर के भंडारी लेंगे. मुख्यमंत्री के बंगले में खाना अब जमीन पर परोसा जाएगा. महंगी क्रॉकरी की जगह पीतल और कांसे के बर्तन नजर आएंगे. यहां तक कि योगी अपने आवास में टीवी से भी परहेज़ करेंगे.

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तो क्या ये योगी का नया अवतार है?
वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं, 'योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद सोबर डाउन हुए हैं.' वो दूसरों को गलत साबित करने के एजेंडा पर काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अस्पतालों और दफ्तरों के औचक निरीक्षण किये हैं. शुक्रवार को एसिड हमले की पीड़िता से मिलकर उन्होंने अपना मानवीय रुख दिखाया. पिछले मुख्यमंत्री ऐसा कभी-कभार ही किया करते थे.'

संन्यास ताकत या कमजोरी?
योगी आदित्यनाथ के गेरुए वेश और उनकी बयानों ने अब तक उन्हें एक कट्टरवादी हिंदू नेता की पहचान दी है. लेकिन ये भी सच है कि भ्रष्टाचार या परिवारवाद के दाग उनके दामन पर नहीं हैं. शरत प्रधान की राय में, 'राज्य ने परिवारवाद और भ्रष्टाचार के चलते काफी तकलीफ उठाई है. योगी का परिवार उत्तराखंड में आम जिंदगी जीता है. मोदी की तरह उनका भी परिवार से कोई कनेक्शन नहीं है.'

बदलाव का अलख जगाएंगे योगी?
शरत प्रधान मानते हैं कि यूपी में हर समस्या की जड़ भ्रष्टाचार है और अगर योगी सिर्फ इस समस्या से ही निपट सकें तो उनकी बड़ी उपलब्धि होगी. अब तक योगी के निर्देश और आदेश बताते हैं कि वो अपनी इस जिम्मेदारी को लेकर संजीदा हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या वो अपने कट्टर समर्थकों को लगाम में रख पाएंगे?

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