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अलीगढ़ में 72 लोग ईसाई धर्म छोड़कर फिर बने हिंदू, चर्च को रातों-रात बना दिया मंदिर

लव जेहाद और कश्‍मीर से लेकर कन्‍याकुमारी तक धर्म पर राजनीति के इस दौर में एक खबर अलीगढ़ की भी है. मामला एक चर्च के रातों-रात मंदिर में परिवर्तन का है. दरअसल, यहां वाल्‍मीकि समाज के 72 लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर एक बार फिर हिंदू धर्म अपना लिया है. धर्म परिवर्तन के बाद एक चर्च को मंदिर की शक्‍ल दे दी गई है.

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Symbolic photo
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लव जेहाद और कश्‍मीर से लेकर कन्‍याकुमारी तक धर्म पर राजनीति के इस दौर में एक खबर अलीगढ़ की भी है. मामला एक चर्च के रातों-रात मंदिर में परिवर्तन का है. दरअसल, यहां वाल्‍मीकि समाज के 72 लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर एक बार फिर हिंदू धर्म अपना लिया है. धर्म परिवर्तन के बाद एक चर्च को मंदिर की शक्‍ल दे दी गई है. क्राइस्‍ट और क्रॉस की जगह शिव की तस्‍वीर ने ले ली है और हिंदू समूह इसे 'सफलतापूर्वक घर वापसी' का नाम दे रहे हैं. यानी आस्‍था का रूप और नाम बदल दिया गया है और 'ओ लॉर्ड' की जगह 'ऊं नम: शिवाय' ने ली है.

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बताया जाता है कि सभी 72 लोगों ने 1995 में अपना धर्म बदल कर ईसाई धर्म को अपना लिया था. मंगलवार को इस पूरी कवायद में अलीगढ़ से कुछ 30 किलोमीटर दूर असरोई में बकायदा शुद्धिकरण समारोह का आयोजन किया गया. चर्च में स्‍थापित क्रॉस को गेट से बाहर कर बकायदा भगवान शिव की तस्‍वीर के साथ उसे मंदिर की शक्‍ल दी गई.

यह घर वापसी है
संघ प्रचारक और अलीगढ़ में धर्म जागरण विवाद के प्रमुख खेम चंद्र कहते हैं, 'यह धर्म परिवर्तन नहीं घर वापसी है. उन्‍होंने यह अपनी मर्जी से किया है और उन्‍हें अपनी गलती का एहसास है. वे वापस आना चाहते थे. मैंने उनसे कहा कि सम्‍मान समुदाय के भीतर मिलता है, समुदाय के बाहर से नहीं.' खेम चंद्र ने आगे कहा कि वह ईसाई धर्म अपनाने वाले आठ परिवारों से लगातार संपर्क में थे और उन्‍होंने उन्‍हें अपने धर्म परिवर्तन के फैसले पर विचार करने को कहा.

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दूसरी ओर, हिंदू धर्म में वापसी करने वाले अनिल गौर कहते हैं कि वे हिंदू धर्म में जाति प्रथा से तंग आकर ईसाई बने थे. लेकिन ईसाई बनने के बाद भी उनकी स्थिति में कोई खास फर्क नहीं आया. अनिल कहते हैं, 'हिंदू के रूप में हमारी कोई हैसियत नहीं थी और हमें छोटे-मोटे काम करने पड़ते थे. 19 साल तक ईसाई बने रहने के बावजूद हमारे पास ईसाई समाज का कोई आदमी नहीं आया. क्रिसमस पर कोई उत्सव नहीं हुआ. मिशनरी ने सिर्फ चर्च बनाया और उसमें कुछ गांववालों की शादी हुई.'

राजेंद्र सिंह (70) भी दोबारा हिंदू बनने पर खुश हैं. वह कहते हैं, 'चर्च के बाहर सोते समय मुझे पैरालिसिस का अटैक हुआ. मैंने खुद को चलने-फिरने में नाकाम पाया. यह पिछले साल की बात है. मैं यही सोच रहा हूं कि धर्म को छोड़ने के कारण माता देवी ने मुझे सजा दी है.'

ईसाई समाज में नाराजगी
ईसाई धर्म से वापस हिंदू धर्म में वापसी की खबर फैलते ही लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) के लोग असरोई गांव में घूमने लगे हैं. लोग मामले में बात करने से कतरा रहे हैं. पुलिस वालों की मौजूदगी भी लोगों को डरा रही है. अलीगढ़ में वकील और ईसाई समाज के प्रतिनिधि ऑसमंड चार्ल्स इस मामले को लेकर नाराज हैं.

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ऑसमंड कहते हैं, 'घर वापसी में साजिश नजर आती है. हम लव जेहाद सुनते हैं. अब घर वापसी सुनाई दे रहा है. क्या यह हिंदू राष्ट्र बनने का सबूत नहीं है?' अलीगढ़ के सिटी मेथॉडिस्ट चर्च के पैस्टर फादर जोनाथन लाल ने कहा, 'चर्च के भीतर शुद्धिकरण पूजा हुई. वहां ऐसी पूजा नहीं होनी चाहिए थी. धर्म हर किसी का निजी मामला है, लेकिन चर्च में हवन निजी मामला नहीं है.'

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