उत्तर प्रदेश की सपा सरकार की ओर से यूपी में गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों के लिए हाल ही में शुरू की गई हौसला पोषण योजना शुरुआती दिनों में दम तोड़ती नजर आ रही है. यूपी के कई जिलों में ग्राउंड जीरो पर इस योजना का रियलिटी चेक किया गया जहां योजना की सच्चाई सामने आई.
फिरोजाबाद में 25 जुलाई 2016 को जिलाधिकारी ने ही कई गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चो को भोजन करवा कर उत्तर प्रदेश सरकार की इस योजना का शुभारम्भ किया था लेकिन रियलिटी चेक में पाया गया कि सरकारी लापरवाही की वजह से गर्भवती ग्रामीण महिलाओं और कुपोषित बच्चों को भोजन ही नहीं मिल रहा है.
अभी तो खाते ही नहीं खुले
कई आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने बताया की इस योजना के शुरू के दो दिन में तो उन्होंने अपने खर्चे से गर्भवती महिलाओं को भोजन कराया लेकिन उनके बैंक खाते में इस
योजना के तहत पैसा ही नहीं आया. ऐसी स्थिति में भोजन कहा से कराया जाए. कई आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का तो ये भी कहना था कि स्थानीय प्रशासन ने अभी तक
उनके खाते ही नहीं खुलवाये हैं.
कर्मचारियों को नहीं योजना की जानकारी
यूपी के फतेहपुर जिले में रियलिटी चेक के दौरान आंगनबाड़ी का जायजा लेने पर सामने आया कि अधिकांश केंद्र बंद मिले और जहां पर चालू हालत में दिखे वहां पर
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नदारद मिली. सहायक के रूप में कार्यरत मौके पर मौजूद बच्चों की देखभाल करने वाली बुजुर्ग महिला को योजना की कोई जानकारी नहीं थी. सबसे
बड़ी बात यह है की विभाग की ओर से जबरदस्त प्रचार प्रसार के बावजूद इस योजना के बारे में ग्राम प्रधान और आंगनबाड़ी कर्मचारी अनजान दिखे.
प्रशासन कर रहा है दावे
हालांकि फतेहपुर के डिस्ट्रिक्ट प्रोग्रामिंग ऑफिसर ने बताया की 'जिले में यह योजना तीन अगस्त से चालू की गई है. इसे जिले के 2907 केंद्रों में से 2616 केन्द्रों में
चालू किया गया है. इस योजना के लिए 3 करोड़ 80 लाख रुपया शासन से मिला है जो कुपोषित बच्चों के लिए एक करोड़ 56 लाख और गर्भवती महिलाओं के लिए दो
करोड़ 24 लाख के तौर पर दिया गया है.'
सभी जगह योजना ने तोड़ा दम
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षी हौसला पोषण योजना जनपद एटा और महाराजगंज में भी शुरुआती दौर में ही दम तोड़ती नजर आ रही है. जहां एटा में
आंगनबाड़ी कर्मियों ने परेशानियों का रोना रोया वहीं महाराजगंज में ये योजना सिर्फ कागजों तक सिमटी हुई है. यही हाल बहराइच, जौनपुर और हाथरस का भी है.