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यूपी में वोट, ध्रुवीकरण और धर्म में क्यों उलझता दिख रहा है जनसंख्या नियंत्रण कानून?

यूपी में अभी जनसंख्या नियंत्रण नीति के ड्राफ्ट पर जनता से रायशुमारी कराई जा रही है. अभी जब नीति का मसौदा आया है तो धर्म के नाम पर जुबानी लड़ाई हो रही है. अगले सात महीने में चुनाव होना है, तब तक विकासवादी सोच का जनसंख्या नियंत्रण कानून तो लागू नहीं होगा, लेकिन ध्रुवीकरण वाली राजनीतिक बयानों की आबादी तेजी से बढ़ती रहेगी.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो-PTI)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जनसंख्या नियंत्रण पर एकमत नहीं धार्मिक नेता
  • सबको अल्पसंख्यक होने की सता रही है चिंता
  • बड़ी आबादी को सामरिक विकास देना चुनौती
  • सरकार जनता से मांग रही है नीति पर राय

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है, जिससे बढ़ती आबादी पर रोक लगाई जा सके. योगी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण पर ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है, जिस पर सभी की राय मांगी जा रही है. 19 जुलाई तक लोग सरकार के इस कदम पर अपनी राय दे सकते हैं. नए कानून की आमद से पहले ही लोगों को अपने धर्म की चिंता भी सताने लगी है, तो कुछ लोग इसे चुनावी कदम भी बता रहे हैं. हकीकत यही है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून को, वोट नियंत्रण का तमगा हासिल हो रहा है. 

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भारत की आबादी 130 करोड़ से ज्यादा है. चुनावी भाषणों में आबादी को देश की ताकत बताया जाता है. उसी देश में आबादी को नियंत्रित करने की पॉलिसी का ड्राफ्ट जब चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में आया तो इसे विकास के लिए आवश्यक जनसंख्या नियंत्रण नीति की जगह राजनीति कहा जाने लगा. दरअसल जनसंख्या नियंत्रण की नीति विकासवादी सोच के मुकाबले ध्रुवीकरण और अपना अपना धर्म, अपनी आबादी आबादी की चिंता के विवाद में ज्यादा उलझी नजर आती है.

इस बात में शायद ही किसी को शक हो कि अगर जनसंख्या नियंत्रित होगी, आबादी संतुलित होगी तो सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल, दवाई, पढ़ाई, ट्रेन, बस सब संसाधन सबको मिल पाएंगे. लेकिन फिर क्यों आबादी कंट्रोल करके विकास से ज्यादा धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण जगह बना लेता है? सवाल कुछ विवादित बयान हैं. 

Explainer: यूपी में जनसंख्या नियंत्रण का फॉर्मूला तैयार, जानिए क्या हैं खास बातें
 

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धर्म विशेष को निशाने पर लेना गलत!

अपने बयान से हाल में ही चर्चा में आए बीजेपी सांसद सुधीर गुप्ता ने धर्म विशेष के सिर ही आबादी का ठीकरा फोड़ दिया. उन्होंने कहा था कि आबादी असंतुलित करने में आमिर खान जैसे लोगों का हाथ है. बीजेपी सांसद धर्म विशेष को ही सीधे बढ़ती आबादी के लिए कठघरे में खड़ा करना चाहते हैं. लेकिन सच्चाई इससे अलग है.

क्या है यूपी की आबादी का हाल?

उत्तर प्रदेश के ही उदाहरण से समझें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक यूपी में औसतन हर महिला के 3.15 बच्चे हैं. यूपी की हिंदू महिलाओं के औसतन 3.06 बच्चे हैं, वहीं मुस्लिम महिलाओं के भी औसतन 3.6 फीसदी बच्चे हैं. यूपी की 44.2 फीसदी महिलाओं के 2 या 2 से कम बच्चे हैं, जिसमें 44.85 फीसदी हिंदू महिलाओं के 2 या 2 से कम बच्चे हैं, जबकि मुस्लिमों 40.38 महिलाओं के 2 या 2 से कम बच्चे हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि बढ़ती जनसंख्या को सीधे एक धर्म के चश्मे से नहीं देखा जा सकता है. 

जनसंख्या नियंत्रण पर भी धर्म का एंगल

ऐसे में जब यूपी में जनसंख्या नीति के मसौदे में दो से ज्यादा बच्चे हुए तो सरकारी नौकरी पाने, स्थानीय,निकाय चुनाव ना लड़ पाने से वंचित करने की बात आई. तब इस नियम में भी धर्म का एंगल ला दिया जाता है.

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ऐसी नीति बनाई जा रही कि अगर मुस्लिम पुरुष ने तीन विवाह किया तो पहली पत्नी के 2, दूसरी से 1, तीसरी से दो बच्चे हैं तो भले कुल बच्चे 2 से ज्यादा हो जाएं, लेकिन पत्नियां अधिकार से वंचित नहीं होंगी. वहीं पुरुष पर इसका असर होगा, जिसके कुल 5 बच्चे हो चुके हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने दलील दी है कि पैदाइश अल्लाह का कानून है और कुदरत से टकराना ठीक नहीं है.

यूपी में कैसा होगा जनसंख्या नियंत्रण का कानून?

यूपी में नीति बनी है कि अगर एक ही बच्चे की नीति किसी ने अपनाई तो आर्थिक लाभ, शिक्षा में फायदा और सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता दी जाएगी. लेकिन ये पॉलिसी विश्व हिंदू परिषद को स्वीकार नहीं है. विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार का कहना है कि जिसको एक ही बच्चा होगा, उसे प्रोत्साहन देंगे, ये हमें स्वीकार नहीं. एक बच्चे के नॉर्म को प्रोत्साहित किया तो जनसंख्या स्थिर नहीं होगी, कम होती जाएगी. सरकार को एक बच्चे वाला नॉर्म नहीं लाना चाहिए.

MP : जनसंख्या असंतुलित करने में आमिर खान जैसे लोगों का हाथ- BJP सांसद

सरकार जब नीति यूपी में ला रही है कि 2 बच्चे की पॉलिसी मानी तो नौकरी, इलाज में सुविधा-प्राथमिकता मिलेगी तो जैन धर्मगुरु स्वाती श्री रविंद्र कीर्ति स्वामी कहते हैं कि हमें कौन सा टिकट मिलता है, बच्चे तो चार जन्म दो. उनका कहना है कि मैं तो अपने प्रवचन में बोलता हूं कि सबको चार बच्चे होना चाहिए, क्योंकि हमारे जैन समाज की आबादी कभी 15 करोड़ थी, कभी 25 करोड़ थी. आज हमारी आबादी 50 लाख रह गई, एक समुदाय विशेष बच्चे पर बच्चे पैदा कर रहा है, हमारे लोग जो हैं कम बच्चे कर रहे हैं. जैन समुदाय चार बच्चे करे खुशी की बात है, मैं तो सबको इनाम दूंगा.

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क्यों ध्रुवीकरण में अटकी जनसंख्या नियंत्रण की विकास नीति?

आबादी पर नियंत्रण की नीति विकास के मुद्दे से ज्यादा धर्म के ध्रुवीकरण में अटक गई है. क्या चुनाव से पहले मसौदा लाने का मकसद यही है? क्या और तरीके भी जनसंख्या नियंत्रण के हो सकते हैं?  इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सिर्फ कानून बनाकर जनसंख्या पर नियंत्रण करना संभव नहीं है. जब महिलाएं शिक्षित होंगी तो अपने आप प्रजनन दर घटेगा. कुछ लोग सोचते हैं कि सिर्फ कानून बनाने से कुछ हो जाएगा, सबकी अपनी अपनी सोच है.

जनसंख्या नियंत्रण पर जुबानी लड़ाई

यूपी में अभी जनसंख्या नियंत्रण नीति के ड्राफ्ट पर जनता से रायशुमारी कराई जा रही है. अभी जब नीति का मसौदा आया है तो धर्म के नाम पर जुबानी लड़ाई हो रही है. अगले सात महीने में चुनाव होना है, तब तक विकासवादी सोच का जनसंख्या नियंत्रण कानून तो लागू नहीं होगा, लेकिन ध्रुवीकरण वाली राजनीतिक बयानों की आबादी तेजी से बढ़ती रहेगी.

संसद में प्रमुखता से उठेगा मुद्दा!

संसद के जल्द शुरु होने जा रहे मानसून सत्र में ये मुद्दा प्रमुख होगा. कई सदस्य प्राइवेट मेंबर बिल के तहत इस जनसंख्या नियंत्रण कानून के मुद्दे को उठाने की तैयारी कर रहे हैं. सवाल है कि क्या कानून की जगह जागरुकता, शिक्षा से आबादी नियंत्रण हो सकता है. अगर हां तो यूपी महिलाओं की शिक्षा के मामले में कहां खड़ा है? 

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महिला साक्षरता के मामले में यूपी चौथा पिछड़ा राज्य!

महिला साक्षरता दर के मामले में उत्तर प्रदेश देश में चौथा पिछड़ा राज्य है. जहां यूपी में पुरुष 80 फीसदी साक्षर हैं तो महिलाएं 63 प्रतिशत ही पढी लिखी हैं. 11 से 14 साल की जहां दस फीसदी बच्चियां आज भी यूपी में स्कूल नहीं जाती हैं. वहीं 15 से 16 साल की उम्र तक बच्चियों का स्कूल जाना घटता है, दावा है कि 17 फीसदी बच्चियां इस उम्र की किसी स्कूल नहीं जाती हैं.
 
ब्रिटिश अर्थशास्त्री रॉबर्ट माल्यस ने कहा था कि जनसंख्या वृद्धि दोगुनी रफ्तार से होती है जबकि संसाधनों में इजाफा एक, दो तीन, चार यानी सामान्य रफ्तार से होता है. इसीलिए संसाधन आबादी के बीच समान रूप से नहीं बंट पाते. इसलिए आबादी नियंत्रण जरूरी है लेकिन ध्रुवीकरण की राजनीति के बिना. 
 

(ब्यूरो रिपोर्ट)

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