कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए करीब 80 उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं. हालांकि पार्टी अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं करने वाली है और इसके लिए सही समय का इंतजार कर रही है. बताया जाता है कि उम्मीदवारों के चयन में प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अहम भूमिका निभाई है.
यूपी के चुनावी दंगल में कांग्रेस ने चुनाव प्रचार पर अपना जोर अब लगाया हो, लेकिन पार्टी के भीतर चुनावी तैयारियां पहले के मुकाबले तेजी पर हैं. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने राज्य की 403 सीटों में से करीब 80 पर उम्मीदवार तय कर लिए हैं. हालांकि कोई भी नेता या अधिकारी अभी इस ओर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
पार्टी को डर, कहीं हो ना जाए बगावत
दरअसल, कांग्रेस को फिलहाल यूपी में अपनी हैसियत मालूम है, इसीलिए पार्टी ने शुरुआत में वो 80 सीटें चुनीं, जहां वो खुद को मजबूत मानती है. या फिर जहां उसके पास मजबूत उम्मीदवार हैं, लेकिन पार्टी को डर है कि चुनाव में अभी काफी वक्त है और अभी नामों की घोषणा पार्टी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक सकती है. साथ ही जिनको टिकट नहीं मिला, वो समय रहते दूसरी पार्टी का टिकट पा सकता है.
प्रशांत किशोर और प्रियंका गांधी की भी भूमिका
बताया जाता है कि पार्टी संगठन और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट, बाहरी एजेंसी के सर्वे के साथ ही प्रशांत किशोर की टीम के इनपुट का सहारा लेकर ये उम्मीदवार तय किए गए हैं; सूत्र बताते हैं कि इसमें राज्य संगठन से चर्चा के बाद प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने प्रियंका गांधी से चर्चा कर उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिया. इस लिस्ट पर सोनिया और राहुल ने भी मुहर लगा दी है.
जिताऊ उम्मीदवार और जातीय समीकरण
सूत्रों के मुताबिक, मजबूत और जिताऊ उम्मीदवार के साथ ही पार्टी ने जातीय समीकरण का भी खास खयाल रखा है. ब्राह्मण, राजपूत और मुस्लिम उम्मीदवारों को तरजीह दी गई है. साथ ही ओबीसी में यादवों की बजाय कुर्मी और दलितों में जाटव को अलावा बाकियों को तरजीह दी गई है. पार्टी को लगता है कि ओबीसी वर्ग में यादव समाजवादी पार्टी और दलितों में जाटव बीएसपी के ज्यादा करीब हैं और उसमें सेंधमारी आसान नहीं है.
सख्त निर्देश, अभी खुलासा होने न पाए
पार्टी आलाकमान की तरफ से सख्त निर्देश हैं कि पार्टी के इस कदम का खुलासा बिलकुल न होने पाए. हां, 80 उम्मीदवारों को जरूर अकेले में इशारा कर दिया गया है कि वो जमीन पर तैयारी शुरू कर दें. लेकिन ये कहीं जाहिर न करें कि उनका टिकट फाइनल है. इनसे कहा गया है कि आधिकारिक घोषणा के बाद ही उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी को खुलकर जाहिर करें, वर्ना पहले खुलासा और घमासान होने की स्थिति में टिकट भी काटा जा सकता है.