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धर्मांतरण केसः SIT के हाथ लगे इफ्तिखारुद्दीन की तकरीर के 60 वीडियो, लोगों ने लगाए ये आरोप

वीडियो में इफ्तिखारुद्दीन किसी की तकरीर सुनते या खुद तकरीर करते नजर आ रहे हैं. एसआईटी ने मंडलायुक्त के दफ्तर और घर पर तैनात रहे दो कर्मचारियों से भी पूछताछ की है.

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SIT कर रही प्रकरण की जांच
SIT कर रही प्रकरण की जांच
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कानपुर मंडलायुक्त रहते सरकारी आवास पर कराई तकरीर
  • हर वीडियो में नजर आ रहे हैं आईएएस इफ्तिखारुद्दीन

मंडलायुक्त जैसे सरकारी ओहदे पर तैनात रहते हुए इफ्तिखारुद्दीन ने अपने सरकारी आवास से लेकर दफ्तर तक, आने वाले फरियादियों के लिए धर्मांतरण की मुहिम छेड़ रखी थी. इस मामले की जांच कर रही एसआईटी को कानपुर के मंडलायुक्त रहे आईएएस अफसर इफ्तिखारुद्दीन के तकरीबन 60 से अधिक वीडियो मिले हैं.

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ये वीडियो इफ्तिखारुद्दीन के कानपुर का मंडलायुक्त रहते सरकारी आवास के बताए जा रहे हैं. इन वीडियो में इफ्तिखारुद्दीन किसी की तकरीर सुनते या खुद तकरीर करते नजर आ रहे हैं. एसआईटी ने मंडलायुक्त के दफ्तर और घर पर तैनात रहे दो कर्मचारियों से भी पूछताछ की है.

बताया जा रहा है कि यूपी में जब समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार थी, तब इफ्तिखारुद्दीन कानपुर के मंडलायुक्त थे. इफ्तिखारुद्दीन ने अपने घर से लेकर दफ्तर तक में इस्लाम धर्म के प्रचार की मुहिम चला रखी थी. जानकारी के अनुसार एसआईटी ने इफ्तिखारुद्दीन की कानपुर में तैनाती के दौरान के 60 से अधिक वीडियो बरामद किए हैं. ये सभी वीडियो कानपुर मंडलायुक्त के आवास के हैं जिसमें धार्मिक कट्टरता को फैलाने, धर्मांतरण की मुहिम को आगे बढ़ाने की बातें की गई हैं. हर वीडियो में इफ्तिखारुद्दीन की मौजूदगी है. कहीं पर वह किसी मौलाना की तकरीर सुन रहे हैं तो किसी वीडियो में खुद इफ्तिखारुद्दीन तकरीर करते भी नजर आ रहे हैं.

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मामले की जांच कर रही एसआईटी की अगुवाई कर रहे सीबीसीआईडी के डीजी जीएल मीणा भी कानपुर में मौजूद थे. एसआईटी ने शुक्रवार को मंडलायुक्त आवास पर तैनात रहे दो कर्मचारियों से भी पूछताछ की. मिली जानकारी के अनुसार दोनों ही कर्मचारियों ने एसआईटी को बताया है कि इफ्तिखारुद्दीन मूर्ति पूजा करने, हाथ में कलावा बांधने पर भड़क जाते थे. वहीं दूसरी तरफ अगर कोई मुस्लिम कर्मचारी दाढ़ी नहीं रखता, नमाज अदा नहीं करता तो उसके ऊपर भी वे नाराज रहते थे. एसआईटी को अपनी जांच में कुछ ऐसे शिकायतकर्ता भी मिले जिनका कहना था कि जब वे मंडलायुक्त दफ्तर पर कोई फरियाद लेकर पहुंचे तो उनको भगा दिया जाता. इसके बाद इफ्तिखारुद्दीन के घर होने वाली तकरीर में शामिल कोई मौलाना उनके पास पहुंचता और फिर धार्मिक किताबें और आश्वासन देकर आता कि तुम्हारा काम अब कमिश्नर साहब कर देंगे.

हालांकि, इस बात की पुष्टि मामला सामने आने के बाद पहले ही दिन कानपुर की सीटीएस मलिन बस्ती से आए लोगों ने भी की थी. तब लोगों ने आरोप लगाया था कि जब उनकी बस्ती मेट्रो प्रोजेक्ट में उजाड़ी जाने वाली थी और वे फरियाद लेकर कमिश्नर साहब के पास पहुंचे थे तो वायरल हुए वीडियो में कमिश्नर इफ्तिखारुद्दीन के साथ नजर आ रहा मोइनुद्दीन उनके पास आया था और धार्मिक किताबें देकर आश्वासन दे गया था कि कमिश्नर साहब तुम लोगों की मदद जरूर करेंगे. फिलहाल इस मामले की जांच के लिए गठित दो सदस्यीय एसआईटी 5 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी.

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