उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण केस में लगातार नाटकीय मोड़ आते दिख रहे हैं. जैसे-जैसें जांच आगे बढ़ रही है, कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. अब तो विदेशी फंडिग की बात भी सामने आ गई है और विदेश में बैठे जाकिर नाइक से भी केस के तार जुड़ गए हैं. अब राज्य सरकार जरूर इस केस को लेकर काफी सक्रिय हो गई है, लेकिन विपक्ष लगातार इसे एक चुनावी मुद्दा बता रहा है. आरोप लग रहा है कि चुनावी मौसम में मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है.
धर्मांतरण मुद्दे के जरिए मुस्लिम समाज पर निशाना?
अब इस आरोप पर यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने साफ कर दिया कि यूपी सरकार ने कभी भी तुष्टिकरण की रानजीति को बढ़ावा नहीं दिया, और उनकी तरफ से समाज के हर वर्ग का विकास किया गया. उन्होंने कहा कि ऐसा कहना बिल्कुल गलत है कि इस मुद्दे के जरिए किसी को निशाना बनाया जा रहा है. हमारी सरकार की जैसी कार्यशैली रही है उसे देखते हुए ये कोई नहीं कह सकता. हमारी जितनी भी जन कल्याण योजनाएं हैं, उनका अगर सबसे ज्यादा लाभ किसी को मिला है तो वो अल्पसंख्यक समुदाय को मिला है. मदरसों का आधुनिकीकरण भी हमारी सरकार ने ही किया है. हां, हमने तुष्टिकरण कभी नहीं किया और यहीं बात विपक्ष को चुभती है.
विपक्ष ने बताया चुनावी मुद्दा, डिप्टी सीएम का जवाब
दिनेश शर्मा से सवाल जाकिर नाइक पर भी पूछा गया लेकिन जांच का हवाला देते हुए उन्होंने ज्यादा कुछ बोलने से मना कर दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. अब दिनेश शर्मा ने जरूर सरकार का स्टैंड साफ किया है, लेकिन विपक्ष लगातार इसे एक चुनावी मुद्दा बता रहा है.
क्लिक करें- धर्मांतरण रैकेट: AAP विधायक अमानतुल्लाह ने की उमर गौतम और जहांगीर कासमी की रिहाई की मांग
केस की बात करें तो उत्तर प्रदेश के नोएडा में धर्मांतरण कराने के आरोप में यूपी एटीएस ने दो मौलानाओं को गिरफ्तार किया है. धर्मांतरण कराने के आरोप में मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को पुलिस ने पकड़ा है. हैरानी की बात ये है कि आरोपी उमर गौतम ने खुद 20 साल की उम्र में अपना धर्म परिवर्तन किया था. उसका असली नाम अमर गौतम है, लेकिन बाद में उसने अपनी पहचान उमर गौतम के नाम से कर ली.