फेसबुक पर शुरू हुई दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई. दो शहरों की दूरी सही नहीं गई तो आशिक अपनी माशूका के शहर आ पहुंचा. फिर दोनों लिव इन में रहने लगे. बिन फेरे हम तेरे की कसमें भी खा ली गईं. साथ जीने मरने का अनकहा वादा भी हो गया. साथ जीना तो हुआ नहीं, मुकम्मल मौत भी नसीब नहीं हुई. पूरे 23 दिनों तक कमरे में उस लड़के की लाश सड़ती रही और पड़ोसियों को भनक तक नहीं लगी. चौंकाने वाली बात ये कि लड़की महज 10वीं की छात्रा है. दोनों एक साथ, एक छत के नीचे महीने भर से रह रहे थे वो भी लड़की की मां की मौजूदगी में.
दरअसल, सुदीप बोस की दोस्ती लखनऊ के गाजीपुर में रह रही एक लड़की से फेसबुक पर हुई. चाहत इतनी बढ़ गई कि सुदीप बंगाल में सबकुछ छोड़ लड़की के घर आ गया. पहले एक दो बार घर आया. फिर परमानेंटली शिफ्ट हो गया. लड़की के मुताबिक दोनों बस एक 'अच्छे दोस्त की तरह रहते थे'. दोनों में किसी बात को लेकर बहस हुई जिसके बाद सुजॉय ने खुद को फांसी लगी ली. ऐन मौके पर आकर लड़की ने रस्सी काट दी. पुलिस के लिए यहां तक की कहानी साफ है.
लेकिन इसके बाद भी सुजॉय की मौत कैसे हुई ये गुत्थी बनी हुई है. सवाल ये भी कायम है कि जब मामला इतना बिगड़ गया तो मां-बेटी लड़के को अकेला छोड़ हरिद्वार क्यों चली गईं. पुलिस को शक है कि कहीं सुजॉय किसी साजिश का शिकार तो नहीं.