उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) की कथित फर्जी डिग्री मामले में बुधवार को प्रयागराज की एसीजेएम कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं. 25 अगस्त को इस केस की अगली सुनवाई है.
कोर्ट ने 156 (3) के तहत दायर याचिका पर आदेश दिया है. आरटीआई एक्टिविस्ट और वरिष्ठ बीजेपी नेता दिवाकर त्रिपाठी की ओर से कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. केशव मौर्य पर याचिकाकर्ता ने आरोप लगाए हैं कि वे अलग-अलग फर्जी डिग्रियों के सहारे चुनाव लड़ते हैं.
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने फर्जी डिग्री से पेट्रोल पम्प भी लिया है. कोर्ट ने कहा है कि इस प्रकरण में फर्जी मार्कशीट के उपयोग का आरोप लगाया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह व्यवस्था तय की गई है कि एफआईआर दर्ज कराने का आदेश ऐसे मामलों में रूटीन तौर पर नहीं पारित करना चाहिए.
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किसकी अर्जी पर कोर्ट ने दिया आदेश?
कथित फर्जी डिग्री के इस प्रकरण में प्रारंभिक जांच जरूरी बताते हुए अदालत ने केस के सुनवाई की अगली तारीख 25 अगस्त तय की है. अदालत ने यह आदेश दिवाकर नाथ त्रिपाठी की अर्जी पर उनके अधिवक्ता उमा शंकर चतुर्वेदी के तर्कों को सुन कर दिया है.
क्या है केशव प्रसाद मौर्य पर आरोप?
याचिकाकर्ता का कहना है कि 2007 में प्रयागराज के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से केशव प्रसाद मौर्य ने विधानसभा का चुनाव लड़ा है. उन्होंने कई अन्य चुनाव भी लड़े हैं. उन्होंने अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र में हिंदू साहित्य सम्मेलन के द्वारा जारी प्रथम, द्वितीय आदि की डिग्री लगाई गई है. जबकि यह किसी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है. कोर्ट के आदेश के बाद अब जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ पाएगी.