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यूपी में 14 साल बाद मिला विधानसभा उपाध्यक्ष, बसपा-कांग्रेस ही नहीं, सत्तापक्ष में भी क्रॉस वोटिंग

विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव में नितिन अग्रवाल ने बीजेपी के समर्थन से सपा विधायक नरेंद्र सिंह वर्मा को शिकस्त दी. इस तरह 14 साल के बाद यूपी को डिप्टी स्पीकर मिला है. बीजेपी भले ही उपाध्यक्ष का चुनाव जीतने में सफल रही है, लेकिन उसके सहयोगी और अपने विधायकों को क्रॉस वोटिंग से नहीं रोक पाई.

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नितिन अग्रवाल बने डिप्टीस्पीकर
नितिन अग्रवाल बने डिप्टीस्पीकर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नितिन अग्रवाल बने यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष
  • बीजेपी-अपना दल विधायक ने की क्रॉस वोटिंग
  • बसपा के बागी सपा के समर्थन में खड़े नजर आए

उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी समर्थित प्रत्याशी नितिन अग्रवाल को जीत मिली है. सूबे में 14 साल के बाद सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल डिप्टी स्पीकर बने हैं. अग्रवाल ने बीजेपी के समर्थन से सपा विधायक नरेन्द्र सिंह वर्मा को शिकस्त दी. 

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विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए कुल 368 मत डाले गए. इनमें से चार मत अवैध घोषित कर दिए गए. ऐसे में 364 वोटों में सपा प्रत्याशी नरेंद्र ‌सिंह वर्मा को 60 मत मिले जबकि नितिन अग्रवाल ने 304 मतों के साथ जीत दर्ज की है. चुनाव के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष की ओर से क्रॉस वोटिंग भी हुई है.

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर सदन में नहीं आए. उपाध्यक्ष के लिए दोनों नेताओं ने अपना वोट कास्ट नहीं किया. वहीं, ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के तीन विधायकों ने ही अपना वोट कास्ट किया है. 

बसपा-कांग्रेस विधायक ने क्रॉस वोटिंग की

कांग्रेस और बसपा ने विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव का बहिष्कार किया था, लेकिन अपने विधायकों को क्रॉस वोटिंग करने से नहीं रोक सकी. कांग्रेस के बहिष्कार करने के बाद भी रायबरेली सदर से पार्टी की बागी विधायक अदिति सिंह और हरचंदपुर से विधायक राकेश सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में वोट किए हैं. इसके अलावा बाकी पांच विधायकों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया. ऐसे ही बसपा के मतदान का बहिष्कार करने के बावजूद पार्टी के 7 बागी विधायकों ने सपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह वर्मा को वोट दिया है.

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अपना दल के विधायक ने भी क्रॉस वोटिंग की

बीजेपी के 304 विधायक हैं जबकि अपना दल के नौ, दो कांग्रेस के विधायक बीजेपी के साथ थे और 1 खुद नितिन अग्रवाल का वोट है. इस तरह बीजेपी के पक्ष 316 वोट हो रहे हैं, लेकिन नितिन अग्रवाल को 304 वोट ही मिले हैं. ऐसे में सत्तापक्ष के विधायकों ने भी विपक्ष उम्मीदवार को अपना वोट किए हैं. बीजेपी की सहयोगी अपना दल (एस) के दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. 

आरके वर्मा जो प्रतापगढ़ के विश्वनाथगंज विधानसभा सीट से अपना दल (एस) से विधायक हैं, उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को वोट दिया. इसके अलावा अपना दल के दूसरे विधायक अमर सिंह चौधरी के भी क्रॉस वोटिंग किए जाने की खबरें हैं. 

अपना दल ने बीजेपी पर लगाया आरोप

अपना दल के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने कहा कि इसका जवाब सत्ताधारी दल से पूछा जाना चाहिए, क्योंकि आरके वर्मा का अपना दल से कोई संबंध नहीं बचा था. वो सार्वजनिक रूप से पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करते थे, पार्टी अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के खिलाफ बोलते थे, लेकिन बीजेपी के बड़े नेता उन्हें अपने मंच पर बिठाते थे. ऐसे में बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को यह जवाब देना चाहिए कि आखिर अपना दल के विधायक ने क्रॉस वोटिंग क्यों की? 

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अपना दल के मुताबिक विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान सदन से पार्टी के दो विधायक गैरहाजिर थे, जिनमें एक बीमार है जबकि दूसरे जम्मू में मौजूद हैं. तीसरे विधायक सिद्धार्थनगर के अपना दल के विधायक के बारे में चर्चा है कि उन्होंने क्रॉस वोटिंग की है जबकि पार्टी का मानना है कि उन्होंने वोट नहीं डाला है.

अपना दल के विधायक अमर सिंह चौधरी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पहले से तल्ख तेवर अपना रखे हैं और हो सकता है कि उन्होंने क्रॉस वोटिंग की हो, लेकिन इस बारे में अंतिम रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता. 

बीजेपी से भी क्रॉस वोटिंग

विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के लिए बीजेपी से भी क्रॉस वोटिंग हुई है. सीतापुर सदर के भाजपा विधायक राकेश राठौर ने सपा प्रत्याशी नरेंद्र वर्मा के पक्ष में वोट किया है. राकेश राठौर काफी समय से योगी सरकार के खिलाफ मुखर हैं और पिछले दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी.

ऐसे में माना जा रहा है कि उपाध्यक्ष के चुनाव में उन्होंने सीतापुर के विधायक नरेंद्र वर्मा के समर्थन में वोट किए हैं. इसके अलावा बीजेपी के कुछ और भी विधायकों के क्रॉस वोटिंग किए जाने की खबरें हैं, लेकिन अभी तक उनके नाम सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आ सके हैं. 

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सपा को 15 अतरिक्त वोट मिले

डिप्टी स्पीकर के चुनाव में सपा प्रत्याशी नरेंद्र वर्मा भले ही जीत न सके हों, लेकिन उन्हें 15 अतिरिक्त वोट मिले हैं. सपा की सदन में कुल संख्या 45 थी, क्योंकि 49 विधायकों में एक आजम खान के बेटे अयोग्य करार दिए जा चुके हैं. शिवपाल यादव वोटिंग में नहीं आए नितिन अग्रवाल बागी हो चुके थे जबकि हरिओम यादव सपा के खिलाफ हैं. 

सपा के 45 विधायकों के साथ अखिलेश यादव के प्रत्याशी नरेंद्र वर्मा को कुल 60 वोट मिले, जिसमें 7 वोट बसपा के बागियों के हैं. 45 समाजवादी पार्टी के साथ अपना दल (एस) के दो और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से तीन विधायक के क्रॉस वोटिंग किए हैं. ऐसे में तीन से चार बीजेपी विधायकों के क्रॉस वोटिंग का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन यह कौन हो सकते हैं इसमें सिर्फ सीतापुर के राकेश राठौर का नाम सामने है. 

14 साल के बाद मिला डिप्टीस्पीकर

यूपी विधानसभा को लगभग 14 साल बाद विधानसभा का उपाध्यक्ष मिला है. इससे पहले बीजेपी के राजेश अग्रवाल को इस पद के लिए जुलाई 2004 में निर्विरोध चुना गया था और उनका कार्यकाल मई 2007 तक था. इसके बाद मायावती और अखिलेश यादव सरकार में विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ था. योगी सरकार के साढ़ चार साल के बाद यानि कुल 14 साल बाद यूपी में विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के लिए चुनाव हुआ. इसके लिए सोमवार को विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था, जिसमें सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल बीजेपी के समर्थन से जीत दर्ज की है.

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