उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले की सदर विधानसभा सीट पर बड़े-बड़े दलों तक के प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा सके. यहां लड़ाई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और निर्दल प्रत्याशी के बीच हुई. कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन के प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई.
दूसरी बार महराजगंज की सदर (सुरक्षित) सीट से जीते जयमंगल कन्नौजिया ने अपने निकटतम प्रत्याशी निर्मेष मंगल (निर्दल) को 76800 मतों के भारी अंतर से हराया. इस जीत के बाद जयमंगल कन्नौजिया यूपी में बड़े दलित चेहरे के रूप में उभर रहे हैं. गोरखपुर क्षेत्र में धोबी समाज जीतने वालों में जयमंगल कन्नौजिया अकेले हैं.
कांग्रेस को AIMIM से भी कम वोट
इस सीट पर सपा गठबंधन की प्रत्याशी गीता रत्ना को महज 21750 मतों से संतोष करना पड़ा है. बसपा के ओमप्रकाश को 20354 वोट मिले है. देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के प्रत्याशी आलोक प्रसाद को सिर्फ 5841 वोट मिले, जबकि कांग्रेस से ज्यादा वोट ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को मिले.
अपनी जमानत बचाने वाले निर्दलीय प्रत्याशी निर्मेष मंगल को 58846 वोट मिले. निर्मेष पहले सपा से टिकट की दावेदारी कर रहे थे. महराजगंज की सदर सीट ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के खाते में चले जाने से यहा से गीता रत्ना चुनाव लड़ीं जो अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी.
कौन है निर्मेष मंगल? जिन्हें बड़े दलों से मिला ज्यादा वोट
निर्मेष मंगल की गिनती जुझारू नेताओं में होती है. वह महराजगंज सदर सीट से 2007 से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन हर बार मामूली अंतर से हार का मुंह देखना पड़ता था. 2007 में जब पहली बार बसपा के टिकट पर वो चुनावी मैदान में खड़े थे तो महज 829 वोटों से उनकी हार हुई थी. साल 2017 में चुनाव हारने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली.
एंबुलेंस से किया था चुनाव प्रचार
निर्षेष मंगल को उम्मीद थी कि सपा से उन्हें टिकट मिल जाएगा लेकिन जब सपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद पड़े. नामांकन करके जैसे ही बाहर निकल कर मीडिया से वार्ता कर ही रहे थे कि तभी उनकी तबियत बिगड़ गई और वो जमीन पर गिर गए. चुनाव के कुछ रोज पहले निर्मेष एम्बुलेंस से प्रचार करने लगे थे.