प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाने वाले नौकरशाह से नेता बने अरविंद कुमार शर्मा को बीजेपी उत्तर प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया गया है. एमएलसी बनाए जाने के बाद से एके शर्मा को सूबे की योगी सरकार में मंत्री बनाकर अहम भूमिका दिए जाने की चर्चाएं हो रही थीं. लेकिन उन्हें संगठन में शामिल किया गया है. इसी के साथ क्या यूपी में मंत्रिमंडल के विस्तार की तमाम संभावनाएं खत्म हो गई हैं?
उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में बीजेपी जुट गई है. इसी के तहत पार्टी ने एमएलसी एके शर्मा को यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया है. इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने अर्चना मिश्रा को और अमित वाल्मिकी को पार्टी का प्रदेश मंत्री बनाया है. इतना ही नहीं उन्होंने बीजेपी के तमाम मोर्चों का भी गठन कर दिया है.
बता दें कि सूबे की योगी सरकार में फिलहाल कुल 53 मंत्री हैं जबकि मंत्रिमंडल में 60 मंत्री हो सकते हैं. ऐसे में सात मंत्रियों का स्थान रिक्त है. चुनावी साल होने के चलते माना जा रहा था कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार का कदम राज्य सरकार उठाएगी. यूपी में कैबिनेट विस्तार के चर्चाओं के केंद्र में अरविंद कुमार शर्मा थे, लेकिन अब उन्हें संगठन में शामिल कर लिया गया है.
हालांकि, एमएलसी बनाए जाने के बाद से एके शर्मा को मंत्री बनाए जाने की चर्चाएं हो रही थीं, क्योंकि उन्हें दिल्ली से यूपी भेजा गया है. इतना ही नहीं नहीं वह पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं. इसलिए सबके मन में था कि शर्मा को महज विधान परिषद के सदस्य के लिए नहीं बल्कि किसी बड़े सियासी मकसद के लिए लाया गया है.
वहीं, पांच महीने बीत जाने के बावजूद अरविंद शर्मा को न तो मंत्रिपरिषद में जगह दी गई और न ही सरकार में अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई. अरविंद शर्मा को लेकर केंद्रीय नेतृत्व और योगी आदित्यनाथ के बीच गतिरोध की कई खबरें भी आईं. कहा गया कि केंद्र एके शर्मा को सूबे में अहम विभाग देना चाहता है जबकि सीएम योगी इसके लिए तैयार नहीं हैं. इसे लेकर दिल्ली से लेकर लखनऊ तक बैठकें भी हुईं.
मुख्यमंत्री कैबिनेट विस्तार के पक्ष में नहीं थे
यूपी में कैबिनेट विस्तार की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कंधों पर डाल दी गई. यूपी बीजेपी प्रभारी राधा मोहन ने तो खुलकर कहा था कि मंत्रिमंडल का विस्तार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, जिस पर फैसला योगी आदित्यनाथ को लेना है. वहीं, मुख्यमंत्री कैबिनेट विस्तार के पक्ष में नहीं थे. यही वजह है कि अब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने एके शर्मा को संगठन में शामिल कर सूबे में कैबिनेट विस्तार की संभावनाओं को फिलहाल के लिए टाल दिया है.
माना जा रहा है कि संगठन में एंट्री के बाद अरविंद शर्मा के इस कार्यकाल में मंत्री बनने के अरमानों पर पानी फिर गया है और अब उन्हें संगठन के तौर पर सूबे में बीजेपी को 2022 में जिताने में अपना योगदान देना होगा. अरविंद शर्मा ही नहीं बल्कि बीजेपी के सहयोगी दलों को भी झटका है, जो कैबिनेट विस्तार में मंत्री बनने की उम्मीद लगाए हुए थे. निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद और अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल ने भी पिछले दिनों बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से दिल्ली में मुलाकात की थी.
एके शर्मा को योगी कैबिनेट के बजाए पार्टी संगठन में शामिल करने पर सपा नेता व पार्टी प्रवक्ता उदयवीर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चाहने के बावजूद शर्मा को योगी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जा सका. एके शर्मा की इज्जत बचाने के लिए उन्हें संगठन ने जगह दिलाई गई. वहीं, कांग्रेस के यूपी प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि योगी आदित्यनाथ इस पूरे सत्ता संघर्ष में केंद्रीय नेतृत्व पर भारी पड़े हैं.
एके शर्मा को मंत्री बनाने के बजाय संगठन में जगह देना योगी की जीत है और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की हार है. एके शर्मा को संगठन में जिम्मेदारी दिए जाने के बाद अब जितिन प्रसाद के लिए चिंता की स्थिति खड़ी हो गई है क्योंकि अगर कैबिनेट में फेरबदल नहीं हो रहा है तो जितिन प्रसाद को क्या जिम्मेदारी दी जाएगी इस पर सबकी नजरें रहेंगी. जितिन प्रसाद ब्राह्मण चेहरा हैं, जो कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं.
कौन हैं एके शर्मा ?
गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी रहे एके शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं. वो पीएम मोदी के साथ 2001 में तब से हैं जब उन्होंने गुजरात के सीएम पद की शपथ ली थी. वो गुजरात में सीएम कार्यालय के सचिव के बाद सीएम के अतिरिक्त प्रमुख सचिव भी रहे हैं. शर्मा ने गुजरात में होने वाले निवेशकों के सम्मेलन वाइब्रेंट गुजरात के आयोजन का दायित्व भी संभाला था.
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साल 2014 में गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी जब पीएम बन कर दिल्ली आए तो शर्मा भी पीएम कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली आए. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेते वक्त वो एमएसएमई मंत्रालय में सचिव पद पर कार्यरत थे.
उत्तर प्रदेश के मऊ से हैं शर्मा
एके शर्मा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के काझाखुर्द गांव के रहने वाले हैं. 58 वर्षीय शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई. उसके बाद 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने डीएवी इंटर कॉलेज से की. स्नातक व राजनीति शास्त्र में परास्नातक इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया और उसके बाद उनका चयन 1988 में भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हो गया, जहां पर उनको गुजरात कैडर दिया गया.