प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को आजतक से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने साफ कर दिया कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस या बीएसपी से गठबंधन नहीं करेगी, बल्कि छोटी पार्टियों को साथ लेकर चलेगी. उन्होंने चाचा शिवपाल यादव को लेकर कहा कि उनकी पार्टी को भी साथ लेकर चलेंगे.
अखिलेश से पूछा गया कि क्या चाचा शिवपाल को चुनाव से पहले साथ लाने की कोशिश हो रही है? क्या उनकी पार्टी भी साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी? इस पर अखिलेश ने जवाब देते हुए कहा, "शिवपाल यादव की सीट है जसवंत नगर, उस सीट पर सपा कोई चुनाव नहीं लड़ेगी. और अगर उनके साथ कोई है जो राजनीतिक परिस्थितियों के साथ कहीं लड़ सकता है तो सपा विचार करेगी. जितने भी छोटे दल हैं उनको साथ लेकर सपा चलेगी. उनका भी दल है. उस दल को भी साथ लेगी." जब उनसे पूछा गया कि गठबंधन होगा या वापस आ जाएंगे तो उन्होंने साफ कहा कि गठबंधन ही होगा.
अखिलेश का यू-टर्न, कहा- हम भी लगवाएंगे भारत सरकार की वैक्सीन, BJP के टीके का था विरोध
अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच रिश्ते 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बिगड़ने शुरू हुए थे. तब अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव की जगह खुद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए थे. उसके बाद उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया था, जिससे उनकी पार्टी को बहुत नुकसान हुआ था. उस चुनाव में शिवपाल यादव सपा की टिकट पर ही इटावा की जसवंत नगर सीट से विधायक चुने गए थे. हालांकि, बाद में उन्होंने सपा छोड़ दी और अपनी पार्टी 'प्रगतिशील समाजवादी पार्टी' बनाई.
इससे पहले शिवपाल यादव भी कह चुके हैं कि उनकी पार्टी का सपा में विलय नहीं होगा. हालांकि, वो गठबंधन करने के लिए तैयार हैं.
छोटे दलों को साथ लाएगी सपा
अगले चुनाव में गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल में अखिलेश ने कहा कि उनकी पार्टी अब किसी भी बड़ी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी. उन्होंने कहा, "बसपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन सपा ने किया था और दोनों के साथ ही अच्छा अनुभव नहीं रहा. इसलिए हमने तय किया कि बड़े दलों के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. सभी नेताओं की राय यही है कि छोटे दल को शामिल कर लिया जाए. सपा आने वाले चुनाव में छोटे दलों से गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी."