उत्तर प्रदेश में नोएडा के किसान, नोएडा विकास प्राधिकरण से बेहद नाराज हैं. किसान आगामी 1 सितंबर से नोएडा प्राधिकरण के बाहर प्राधिकरण की नीतियों के खिलाफ महा आंदोलन छेड़ने जा रहे हैं. किसानों की चार मुख्य मांगें हैं, जिन्हें वे नोएडा विकास प्राधिकरण से पूरा करवाना चाहते हैं. नोएडा में होने वाले इस महा आंदोलन को लेकर गांव-गांव में पंचायत की जा रही है. आंदोलन को लेकर किसानों की तैयारियां जोरों पर है.
किसान नेता सुखबीर पहलवान ने शुक्रवार को कहा कि नोएडा प्राधिकरण किसानों की बात नहीं सुन रहा है. अनेक समस्याएं हैं, जिनका कोई निराकरण नहीं किया जा रहा है. नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी लगातार उनकी मांगों को नजरअंदाज करते आ रहे हैं. किसान अपनी मांगों को लेकर 1 सितंबर से प्राधिकरण पर प्रदर्शन करेंगे, जिसमें हजारों किसान शामिल होंगे.
किसानों की पहली मांग के मुताबिक प्राधिकरण ने साल 1932 के बाद किसानों की कोई भी आबादी नहीं मानी. प्राधिकरण ने किसानों के घर पर अधिग्रहण कर लिया है. यह सिर्फ एक या दो गांव नहीं बल्कि नोएडा के 81 गांव का मामला है. प्राधिकरण के अंतर्गत 81 गांव आते हैं. प्राधिकरण ने किसानों की आबादी की जमीन का अधिग्रहण किया है. उनकी मांग है कि 1932 के बाद की भी जमीन भी किसानों के नाम पर दर्ज हो.
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प्लॉट को लेकर असंतुष्ट हैं किसान!
किसानों की दूसरी मांग के मुताबिक एक भाई को 5 प्रतिशत प्लॉट दिया जा रहा है और दूसरे भाई को 10 प्रतिशत प्लॉट दिया जा रहा है. दोनों एक ही पिता के बेटे हैं. दरअसल, साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था. सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के मुताबिक किसानों को 10 प्रतिशत प्लॉट और 64 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देने की बात कही गई थी.
गांव में नक्शा नीति नहीं है कामयाब!
किसानों की तीसरी और सबसे अहम मांग यह है कि गांव में नक्शा नीति कामयाब नहीं है. सेक्टरों के लोगों और गांव के लोगों के रहन सहन में काफी फर्क होता है. गांव के लोग भैंस, जानवर, बोंगा और बिटोड़ा रखते हैं, जो सेक्टरों में नहीं होता है. नोएडा प्राधिकरण ने जबरदस्ती गांव पर भी नक्शा नीति लागू की, जिसको प्राधिकरण को वापस लेना होगा.
कॉमर्शियल गतिविधियां शुरू करने की मिले इजाजत!
किसानों की चौथी मांग की बात करें तो मांग है कि जहां पर किसानों को 5 प्रतिशत प्लॉट दिए गए, वहां पर किसानों को कमर्शियल गतिविधियों को भी जारी रखने की इजाजत दी जाए, जिससे वे अपने लिए रोजगार की व्यवस्था कर सकें. आरोप है कि नोएडा प्राधिकरण ने उनकी खेती की जमीन तो खत्म कर दिया. किसानों की जमीन को अधिग्रहीत करके उन्हें बेरोजगार कर दिया गया. अब दिए गए 5 प्रतिशत प्लॉट में वे कॉमर्शियल गतिविधियां खोलना चाहते हैं, जिससे वे अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें.
किसान आंदोलन के बीच बढ़ेगा सरकार पर दबाव!
जाहिर है दिल्ली से लेकर हरियाणा तक और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पिछले कई महीनों से लगातार किसानों का आंदोलन चल रहा है. ऐसे में नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ अगर किसानों का यह बड़ा आंदोलन शुरु होता है तो ये आंदोलन उत्तर प्रदेश सरकार के लिए बड़ी मुश्किल साबित हो सकता है.